भोपाल। उमा भारती अर्से बाद फिर उन्हीं तेवरों में दिखाई देंगी जिनके लिए वे जानी जाती रही हैं. शराबबंदी को लेकर आंदोलन के मुद्दे पर अब तक तारीख पर तारीख के अंदाज में बढ़ती रहीं साध्वी का नया एलान ये है. प्रदेश में शराबबंदी के लिए उमा अब सात नवम्बर से प्रदेश भ्रमण पर निकलेंगी. निशाने पर होंगे मंदिर मस्जिद, गुरुद्वारे, जिनालय, स्कूल और अस्पताल के पास की शराब दुकानें और अहातें. ये ही वो ठिकाने भी होंगे, जहां उमा भारती टेंट लगाकर बैठेंगी. साध्वी का बड़ा संकल्प ये है कि करीब सवा दो महीने तक चलने वाले शराबबंदी के इस भ्रमण कार्यक्रम के लिए लिए सड़क पर उतरने के साथ वे केवल घर नहीं छोड़ेंगी, बल्कि किसी भी छत के नीचे नहीं जाएंगी. former cm uma bharti talk with etv bharat, uma bharti statement on liquor ban, former cm awareness campaign on alcoholism
शराब नीति में सुधार के लिए सड़क पर साध्वी: उमा भारती ने शराबबंदी के आंदोलन को सरकारी स्तर पर चलाए जाने को लेकर सीएम शिवराज का आभार जताया है. उन्होंने कहा भी कि जन आंदोलन को सरकार अडॉप्ट कर ले ये केवल शिवराज के बूते की बात है. साध्वी के मुताबिक भारत में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने जनांदोलन को सरकार का अभियान बनाया है. उमा को ये विश्वास भी है कि शिवराज उसी संवेदनशीलता के साथ नई शराब नीति में आवश्यक बदलाव करेंगे. फिर सवाल ये कि इस कार्यक्रम की जरुरत क्या है. उमा कहती हैं मेरा प्रयास ये है कि पार्टी स्तर पर शराब को लेकर एक नीति बननी चाहिए. पार्टी के प्लेटफॉर्म पर शराब को लेकर नीति बननी चाहिए. ये एक ऐसी सामाजिक बुराई है, जिसने समाज का सबसे ज्यादा नुकसान किया है.
मेरा बेस्ट अल्टरनेट शिवराज: उमा भारती ने प्रेस तो शराबबंदी के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई थी, लेकिन कई खुलासे किए. उन्होंने कहा कि उनकी किसी भी कवायद को चुनावी जमीन तलाशने के तौर पर ना देखा जाए. इसकी जरुरत नहीं है. उन्होंने बताया कि शिवराज ने मुझे एमपी से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. लेकिन मैंने उनसे कहा कि एमपी में मुझसे बेहतर विकल्प आपके रुप में पहले से मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि 2019 में जब उमा ने चुनाव लड़ने से इंकार किया था तो पार्टी ने कहा था कि इससे 17 सीटे प्रभावित होंगी, लेकिन मैंने कहा कि 17 सीटों पर मेरी गारंटी है. फिर उम्मीदवार ने जहां कहा मैने वहां अपना हेलीकॉप्टर उतारा. 2024 का चुनाव लड़ने का मन बना चुकी उमा कहती हैं कहां से लड़ेंगी ये फैसला पार्टी को करना है. पिछली बार उत्तराखंड से फैसला हुआ था लेकिन फिर यूपी भेज दिया गया.