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केरल की वह भूमि जहां के नमक सत्याग्रह ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दीं

देश स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस कड़ी में देशभर में वीर शहीदों की याद में कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. देश को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. गांधी जी वह शख्सियत थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें हिला दी थीं. 1930 में नमक सत्याग्रह कर उन्होंने जो संदेश दिया उससे केरल कैसे अछूता रह सकता था. आज की 'ईटीवी भारत' की विशेष पेशकश में जानिए 'केरल के गांधी' के नाम से प्रसिद्ध के. केलप्पन के नेतृत्व में निकाले गए नमक सत्याग्रह मार्च के बारे में.

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प्रतीकात्मक फोटो

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Published : Dec 11, 2021, 5:15 AM IST

Updated : Dec 11, 2021, 6:56 PM IST

कन्नूर: 'इस मुट्ठीभर नमक से मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दूंगा.' महात्मा गांधी ने अप्रैल 1930 में दांडी समुद्र तट पर अपने हाथ में नमक लेकर ये बात कही थी. उनका यह कथन अक्षरशः सत्य हो गया. सविनय अवज्ञा आंदोलन के हिस्से के रूप में 12 मार्च, 1930 को गांधीजी द्वारा शुरू किए गए नमक सत्याग्रह मार्च (Salt Satyagraha march) का देश भर के भारतीयों ने खुले हाथों से स्वागत किया.

1882 के नमक अधिनियम से ब्रिटिश सरकार ने भारत में नमक पर एकाधिकार कर लिया था. गांधीजी का लक्ष्य इस एकाधिकार को तोड़ना और नमक को सार्वभौमिक बनाना था. महात्मा गांधी के आह्वान पर केरल ने भी नमक सत्याग्रह में भाग लिया.

केरल की वह भूमि जहां के नमक सत्याग्रह ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दीं

गांधीजी के साथ सी. कृष्णन नायर, टाइटस, राघव पोथुवाल, शंकरजी और तपन नायर ने दांडी मार्च में भाग लिया. केरल में नमक सत्याग्रह के केंद्र कन्नूर में पय्यानूर और कोझीकोड में बेपोर थे. केरल में पहली बार के. केलप्पन (K. Kelappan) के नेतृत्व में पय्यानूर में नमक तैयार किया गया, जिन्हें उपनाम 'केरल के गांधी' से भी जाना जाता है. मुहम्मद अब्दुर्रहमान (Muhammad Abdurahman) ने बेपोर में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया.

केरल में इन्होंने संभाली नमक सत्याग्रह की कमान

अंग्रेजों के खिलाफ नमक सत्याग्रह की केरल में शुरुआत पय्यानूर के उलियाथु कदवु (uliyathukadavu) से हुई. यहां हड़ताल का नेतृत्व के. केलप्पन, मोयारथ शंकर मेनन और सीएच गोविंदन नांबियार (K Kelappan, Moyarath Sankara Menon and CH Govindan Nambiar) ने किया. 9 मार्च, 1930 को वडकारा में हुई केपीसीसी की बैठक ने इसकी अनुमति दी. कोझिकोड से शुरू हुए 32 सदस्यीय जुलूस के नेता के. केलप्पन थे जबकि कप्तान केटी कुंजिरमन नांबियार.

कृष्णापिल्लई का गरजने वाला गीत
13 अप्रैल 1930 को कृष्णा पिल्लई के गाए गए ब्रिटिश विरोधी गीत 'वज्का भरतसमुदयम्' (Vazhka Bharatasamudayam') से जुलूस शुरू हुआ. रास्ते में मोयारथ कुन्जी शंकर मेनन, पी कुमारन और सीएच गोविंदन ने स्वागत किया. ये जुलूस 21 अप्रैल को पय्यानूर पहुंचा. इसके अगले दिन उलियाथ कदवु. नारेबाजी और राष्ट्रगान के साथ नमक कानून का उल्लंघन किया गया. इसके साथ ही उलियाथ कदवु-पय्यानूर (Uliyath Kadavu-Payyanur) की घटना स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण साबित हुई.

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नमक कानून के विरोध में एकजुट होते देख अंग्रेजों ने पय्यानूर में सत्याग्रह शिविर पर धावा बोल दिया और लोगों के साथ मारपीट की. केलप्पन सहित कई नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसने लोगों को और उत्साहित किया और हजारों लोग स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए तैयार हो गए. कन्नूर, थालास्सेरी और अन्य जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए. कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया.

उलियाथु कदवु में संरक्षण की दरकार

उलियाथ कदवु को संरक्षित करने की दरकार है. पिछले साल नमक सत्याग्रह की 90वीं वर्षगांठ मनाई गई, फिर भी उलियाथ कदवु के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. ये असामाजिक तत्वों का गढ़ बना हुआ है. पुराने पय्यान्नूर पुलिस स्टेशन जहां प्रदर्शनकारियों को पीटा गया था, को गांधी संग्रहालय में बदल दिया गया है. नमक सत्याग्रह के ऐतिहासिक अभिलेख पय्यानुर गांधी स्मृति संग्रहालय में रखे गए हैं. गांधी संग्रहालय में आंदोलन में भाग लेने वालों के नाम और अन्य विवरण और पुलिस द्वारा तैयार की गई प्राथमिकी की एक प्रति वाले दस्तावेज भी हैं. स्वतंत्रता सेनानियों और स्थानीय लोगों की मांग है कि उलियाथ कदवु की ऐतिहासिक भूमि की रक्षा के लिए अधिकारियों को तुरंत कदम उठाने चाहिए.

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Last Updated : Dec 11, 2021, 6:56 PM IST

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