गुवाहाटी: भारतीय सेना के जोरहाट शिविर के मेन गेट पर हुए ग्रेनेड विस्फोट के बाद असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और प्रतिबंधित समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, असम के डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि परेश बरुआ के नेतृत्व वाले गुट को निर्दोष नागरिकों को आतंकित करने के लिए यहां-वहां ग्रेनेड फेंकना बंद करना चाहिए. अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें असम के डीजीपी मुख्यालय और काहिलीपारा में मेरे आवास को निशाना बनाना चाहिए.
एक ताजा प्रेस विज्ञप्ति में, प्रतिबंधित संगठन ने असम पुलिस प्रमुख की चुनौती पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसने 15 दिसंबर को असम डीजीपी की ओर से जारी चुनौती को 'दो शर्तों पर' स्वीकार कर लिया है. बयान में कहा गया है कि, सबसे पहले, जीपी सिंह को स्थानीय पुलिस अधिकारियों और कांस्टेबलों के स्थान पर सीआरपीएफ या भारतीय सेना के जवानों को तैनात करना चाहिए.