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Ukraine-Russia संकट के बीच सुर्खियों में रहे यूक्रेन में मेडिकल पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र - medical studies

रूस और यूक्रेन के बीच गोलीबारी (Firing between Russia and Ukraine) में फंसे हजारों भारतीय छात्र, जो कि यूरोप के दूसरे सबसे बड़े देश में मेडिकल की पढ़ाई (medical studies) कर रहे हैं, अब उनकी घर वापसी के लिए बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं. इन छात्रों को युद्धग्रस्त देश से निकाला जा रहा है. ईटीवी भारत के संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Medicine in Ukraine
भारतीय छात्रों को मिली सुर्खियां

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Published : Mar 2, 2022, 8:09 PM IST

नई दिल्ली:यूक्रेन में संघर्ष के बीच भारतीय छात्रों द्वारा यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई (medical studies) करने के कारण सुर्खियों में हैं. दिलचस्प बात यह है कि भारत सरकार द्वारा निकाले गए ज्यादातर छात्र यूक्रेन में चिकित्सा अध्ययन (medical studies) कर रहे हैं. भारतीय दूतावास कीव के अनुसार लगभग 18000 भारतीय छात्र यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में मेडिसिन और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

भारतीय छात्र, यूक्रेन में पढ़ रहे 76000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे बड़ा समूह हैं. चीन, तुर्की, इजराइल, उज्बेकिस्तान जैसे अन्य देशों के छात्र भी उच्च अध्ययन के लिए यूक्रेन को एक प्रमुख गंतव्य के रूप में पसंद करते हैं. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई बहुत सस्ती है. एक छात्र को भारत में निजी कॉलेज में मेडिकल पढ़ाई के लिए कम से कम 60 लाख से 1 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं जबकि यूक्रेन में यह डिग्री हासिल करने के लिए केवल 15 से 22 लाख रुपये ही लगते हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ सहजानंद सिंह ने कहा कि यूक्रेन में मेडिकल कॉलेज में सीट पाने के लिए किसी भी प्रवेश परीक्षा में बैठने की आवश्यकता नहीं है. गौरतलब है कि यूक्रेन में लगभग सभी विश्वविद्यालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं और यूक्रेन में विश्वविद्यालयों से मेडिकल डिग्री को यूरोपीय चिकित्सा परिषद और यूनाइटेड किंगडम की सामान्य चिकित्सा परिषद सहित कई अन्य देशों द्वारा भी मान्यता प्राप्त है.

भारत के छात्रों के लिए यूक्रेन एक प्रमुख गंतव्य के रूप में क्यों है क्योंकि इन कॉलेजों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी है, जिसका अर्थ है कि भारतीयों को कोई विदेशी भाषा नहीं सीखनी पड़ती है. जब संवाददाता ने एक ऐसे छात्र के माता-पिता से संपर्क किया, जो यूक्रेन में चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बना रहे हैं तो यह बताया गया कि किसी विशेष पाठ्यक्रम का अध्ययन करने के लिए आवश्यक राशि बहुत ही किफायती है.

यूक्रेन से वापस आईं छात्रा इशिका देबनाथ के पिता शंकर देबनाथ ने कहा कि मेरी बेटी पिछले साल चिकित्सा के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए यूक्रेन गई थी. वह बहुत ही शानदार छात्रा है और हमेशा डॉक्टर बनने का सपना देखती थी. इससे पहले कि हम उसे यूक्रेन भेजते वह NEET परीक्षा में भी शामिल हुई. हालांकि उसके कठिन प्रयास के बावजूद भाग्य ने हमारा साथ नहीं दिया.

मेघालय के शिलांग की रहने वाली इशिका राज्य की पहली छात्रा हैं, जिन्हें संघर्ष ग्रस्त यूक्रेन से निकाला गया था. यह पूछे जाने पर कि इशिका अब क्या करेगी? देबनाथ ने कहा कि उन्हें कॉलेज के अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया है कि वर्तमान स्थिति के कारण कॉलेज दो सप्ताह के लिए बंद रहेंगे. देबनाथ ने कहा कि उसे यूक्रेन भेजने से पहले हमने भारत में निजी कॉलेजों में फीस संरचना के बारे में पूछताछ की और हमें पता चला कि यूक्रेन सबसे अच्छा विकल्प होगा.

देबनाथ ने कहा कि भारत के कई निजी कॉलेजों ने हमें बताया कि उनकी फीस संरचना बहुत किफायती है लेकिन हमें उन्हें डोनेशन देना होगा. यह भी एक सच्चाई है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट पाना भी बहुत कठिन है क्योंकि एक सीट के कई दावेदार होते हैं. 2021 में 16 लाख से अधिक छात्रों ने NEET-UG के लिए आवेदन किया था. यह दर्शाता है कि भारत में प्रत्येक एमबीबीएस सीट के लिए 16 से अधिक आवेदक होते हैं.

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वर्तमान में पूरे भारत में लगभग 90000 एमबीबीएस सीटें हैं. इसके अलावा भारत की कुल आबादी के लिए लगभग 536 मेडिकल कॉलेज हैं. जब संवाददाता ने लोगों के एक बड़े वर्ग से बात की तो यह भी सामने आया कि भारतीय छात्रों को मेडिकल, इंजीनियरिंग या अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए विदेश भेजना आकर्षक व्यवसाय भी है. इस व्यवसाय से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि विदेश में मेडिकल पढ़ाई करने के इच्छुक एक छात्र से करीब दो लाख रुपये का कमीशन मिलता है.

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