हैदराबाद:रूस और यूक्रेन के बीच 12 दिनों से युद्ध जारी है. आज 12वें दिन रूस ने यूक्रेन के मध्य, उत्तरी और दक्षिण हिस्से में स्थित शहरों में गोलाबारी तेज कर दी है. यूक्रेन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इस गोलाबारी से वहां फंसे नागरिकों को निकालने का दूसरा प्रयास भी विफल हो गया है. वहीं, यूक्रेन ने रूसी साइबर हमलों से निपटने के लिए एक खास प्लान बनाया है. जानकारी के मुताबिक रूसी साइबर हमलों का जवाब देने के लिए यूक्रेनी सरकार ने नई भर्तियां भी करना शुरू कर दिया है जिसे उसने आईटी सेना का नाम दिया है.
वैसे सही मायनों में इसका सटीक शब्द साइबर मिलिशिया होना चाहिए क्योंकि इसमें नागरिक अपनी मर्जी से शामिल हो रहे हैं. बता दें, यूक्रेन की आईटी सेना' देश को रूसी साइबर हमलों से बचाने और रूसी साइटों को बंद करने का प्रयास कर रही है. इसके लिए यूक्रेन की आईटी सेना रूस के एजेंटों और प्रौद्योगिकी नेताओं तक पहुंचने के लिए टेलीग्राम खाते का भी उपयोग कर रही है.
आईटी आर्मी का समर्थन
यूक्रेन के सरकारी अधिकारी भी 'आईटी आर्मी' का समर्थन कर रहे हैं. यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और डिजिटल परिवर्तन मंत्री मायखाइलो फेडोरोव ने ट्वीट किया कि हम एक आईटी सेना बना रहे हैं. हमें डिजिटल प्रतिभाओं की आवश्यकता है. सभी के लिए कार्य होंगे. हम साइबर मोर्चे पर लड़ना जारी रखते हैं. पहला काम साइबर विशेषज्ञों के लिए चैनल पर है. रिपोर्टों से पता चलता है कि दुनियाभर के 275, 000 से अधिक लोगों ने इसके लिए अप्लाई किया है, हालांकि अभी एक सटीक आंकड़े की पुष्टि करना शायद जल्दबाजी होगी.
मदद करने की इच्छा लेकिन क्या हमें अनुमति है?
ऑस्ट्रेलिया से यूक्रेन की दूरी काफी ज्यादा है, लेकिन मानवता के आधार पर आस्ट्रेलिया के कई लोग मदद के लिए तैयार हैं. वहीं, कैनबरा सरकार ने अब तक ऑस्ट्रेलियाई लोगों को ऐसा करने के लिए कोई सलाह नहीं दी है. वहीं, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और डेनमार्क जैसे देशों ने अपने नागरिकों के लिए यूक्रेन की अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय रक्षा सेना में भर्ती होने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. जहां तक आस्ट्रेलियाई लोगों का संबंध है, वहां का कानून इसमें अड़ंगा लगा रहा है, बता दें, ऑस्ट्रेलिया का आपराधिक कानून कई गतिविधियों में शामिल होने को अवैध मानता है. सीधे शब्दों में कहें, यहां हैकिंग को एक अपराध माना जाता है.