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यूक्रेन में अधूरी छूटी मेडिकल शिक्षा की चिंता न करें, डिग्री के लिए 'क्रॉक-2' परीक्षा अनिवार्य नहीं

रूस यूक्रेन संघर्ष और वर्तमान स्थिति पर चर्चा के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटे छात्रों के भविष्य को लेकर सरकार पूरी तरह संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि छात्रों को क्रॉक टू की परीक्षा के बिना भी मेडिकल की डिग्री (ukraine CROC two exam jaishankar) मिलेगी.

External Affairs Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर

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Published : Apr 6, 2022, 5:52 PM IST

नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया है कि यूक्रेन की सरकार ने वहां से लौटने को मजबूर हुए भारतीय छात्रों की मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिहाज से कुछ छूट देने का फैसला किया है और अब छात्रों को उनके अकादमिक मूल्यांकन के आधार पर मेडिकल की डिग्री दी जा सकेगी तथा उन्हें 'क्रॉक-2' परीक्षा नहीं देनी होगी. जयशंकर ने लोकसभा में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा, ' भारत सरकार यूक्रेन से पढ़ाई बीच में छोड़कर लौटने को मजबूर हुए भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर चिंतित है . उनका (छात्रों का) पाठ्यक्रम पूरा हो सके, इस लिहाज से हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, चेक गणराज्य और कजाकिस्तान जैसे देशों के साथ संपर्क में है.'

क्या है क्रॉक टू परीक्षा, किन छात्रों को मिलेगा फायदा : बुधवार को लोक सभा में विदेश मंत्री ने सदन में कहा कि यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर वह सदन को सूचना देना चाहते हैं कि यूक्रेन सरकार ने निर्णय लिया है कि छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा पूरी करने के संदर्भ में छूट दी जाएगी. उन्होंने बताया कि तीसरे वर्ष से चौथे साल में जाने वाले छात्रों के लिए जो 'क्रॉक-1' परीक्षा होती है, उसे अगले शिक्षण सत्र के लिए स्थगित कर दिया गया है और छात्रों को अगले शिक्षण सत्र में मानक जरूरतों को पूरा करने के आधार पर भेजा जाएगा.'

अलग-अलग मंत्रालय टीम की तरह कर रहे काम : उन्होंने कहा कि वहां छठे वर्ष के छात्रों को 'क्रॉक-2' परीक्षा देनी होती है और सामान्य स्थिति में उसी के आधार पर उन्हें मेडिकल की डिग्री दी जाती है, लेकिन यूक्रेन की सरकार ने निर्णय लिया है कि छात्रों को अकादमिक मूल्यांकन के आधार पर डिग्री दी जाएगी और उन्हें 'क्रॉक-2' परीक्षा नहीं देनी होगी. विदेश मंत्री ने कहा कि इसके लिए हमने भी जोर दिया था. जयशंकर ने कहा कि इन छात्रों के भविष्य को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और अन्य विभाग काम कर रहे हैं.

लोक सभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने यूक्रेन से लौटे छात्रों के भविष्य पर दिया जवाब

हंगरी ने सबसे पहले दिया प्रस्ताव : उन्होंने कहा, 'मैं विदेश मंत्रालय की ओर से कह सकता हूं कि हम हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, चेक गणराज्य और कजाकिस्तान के साथ संपर्क में हैं. इन सभी का लगभग एक जैसा चिकित्सा चिकित्सा शिक्षा मॉडल है.' जयशंकर ने कहा कि हंगरी से इस बारे में सबसे पहले सरकार को प्रस्ताव मिला है. उन्होंने कहा कि हंगरी के अलावा अन्य प्रस्तावों पर भी दूतावास काम कर रहे हैं और विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि छात्रों को हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी.

भारत रूस संबंध और यूक्रेन में पढ़ाई पर सरकार का रवैया : मेडिकल की पढ़ाई अधर में लटकने को लेकर टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने चिंता जताई. उन्होंने छात्रों के भविष्य के संदर्भ में पश्चिम बंगाल सरकार के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के रूख को लेकर सवाल किया. पश्चिम बंगाल की बहरामपुर लोक सभा सीट से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने स्विफ्ट प्रणाली के तहत रूबल और भारतीय रुपये में लेनदेन पर होने वाले प्रभाव पर सवाल किया. उन्होंने यह भी पूछा कि क्या विदेश मंत्रालय रूस यूक्रेन के बीच मध्यस्थता पर के विकल्प पर विचार कर है ? इसके अलावा महाराष्ट्र से निर्वाचित शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने मेडिकल की पढ़ाई के लिए हंगरी के अलावा अन्य देशों में छात्रों के लिए क्या विकल्प हैं ? शिक्षा पूरी होने और एजुकेशन लोन के मुद्दे पर विदेश मंत्री ने कहा कि अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय व अन्य संबंधित मंत्रालयों को लेना है. मध्यस्थता के सवाल पर विदेश मंत्री ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया.

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एजुकेशन लोन पर वित्त मंत्रालय लेगा अंतिम फैसला जयशंकर ने छात्रों द्वारा लिए गए शिक्षा ऋण के संबंध में कहा कि यूक्रेन में पढ़ने वाले 1,319 छात्रों पर ऋण बकाया है और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कुछ दिन पहले सदन को सूचित कर चुकी हैं कि सरकार ने भारतीय बैंक संघ को वापस आने वाले छात्रों के बकाया शिक्षा ऋण के संबंध में संघर्ष के कारण पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने और विभिन्न पक्षकारों के साथ इस बारे में विचार-विमर्श शुरू करने के लिये कहा है. जयशंकर ने यह भी कहा कि हमारा प्रयास इस समय भारत और रूस के बीच आर्थिक लेनदेन को स्थिरता प्रदान करना है चूंकि रूस भारत का महत्वपूर्ण साझेदार देश है.

(इनपुट- पीटीआई-भाषा)

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