नई दिल्ली:यूक्रेन संकट (Ukraine crisis) के बीच बाइडेन और पुतिन के बीच वाक युद्ध (The war of words between Biden and Putin) भी जारी है. यूक्रेन संकट को हल करने के लिए वार्ताकारों के बीच वार्ता के बाद कोई ठोस समाधान नहीं (No concrete solution after talks) मिला है. दुनिया डरी हुई स्थिति को देख रही है जो दूरगामी परिणामों के साथ युद्ध में बदल सकती है.
रूस-यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर पहुंचने के बाद जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज कीव पहुंचे. क्योंकि बाइडेन प्रशासन ने चिंता जताई है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण किसी भी समय हो सकता है. यह पूछे जाने पर कि क्या यूक्रेन पर रूसी आक्रमण आसन्न है और इसके क्या निहितार्थ होंगे? पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा रूस-यूक्रेन संकट का पूरा प्रकरण रूस और पश्चिम (अमेरिका) के बीच भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है.
दुर्भाग्य से इस प्रक्रिया में यूक्रेनियन फंस गए हैं. ऐसा नहीं लगता है कि युद्ध होगा क्योंकि यह कुल मिलाकर रूस के लिए बुरा साबित होगा. रूस और यूक्रेन की संप्रभुता और किसी प्रकार का राजनयिक समायोजन खोजा जाना चाहिए. वाशिंगटन डीसी और पश्चिम के अन्य देशों से आने वाले बयानों से इसे बहुत अधिक प्रचारित किया जा रहा है. मुझे यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का कोई कारण नहीं दिखता क्योंकि यूक्रेन में रणनीतिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र क्रीमिया था, जो रूस के पास पहले से ही है और वे इसे वापस नहीं देने जा रहे.
साथ ही रूस भी नहीं चाहता कि उसकी सुरक्षा से समझौता किया जाए. इसलिए इसमें भारी सुरक्षा चिंताएं हैं. अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि इस समय कोई आक्रमण नहीं होगा लेकिन युद्ध हो सकता है क्योंकि जिस तरह का प्रचार किया गया है और 1997 में रूस-यूक्रेन के बीच जो समझौता हुआ था, उसका उल्लंघन किया गया है. कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है. त्रिगुणायत जिन्होंने पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका और विदेश मंत्रालय में कांसुलर डिवीजनों में काम किया है, ने ईटीवी भारत को बताया कि हर युद्ध के बाद एक डी-एस्केलेशन होता है, कोई भी युद्ध हमेशा के लिए जारी नहीं रहता है. मुझे उम्मीद है कि पहले तो कोई युद्ध नहीं होगा लेकिन ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष किसी तरह के मोडस विवेन्डी पर पहुंच रहे हैं.