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ukraine crisis : गुजरात लौटी छात्रा ने ली राहत की सांस, पिता ने कहा- विमानों का किराया घटने से मिली मदद

यूक्रेन में लगातार बिगड़ते हालात के बीच भारतीय नागरिक स्वदेश लौट रहे हैं. यूक्रेन से लौटने वाले भारतीय लोगों में गुजरात की एक छात्रा भी शामिल रही. यूक्रेन के अनुभवों पर छात्रा ने बताया कि भारत के अलावा अन्य देशों के स्टूडेंट्स भी यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं. ताजा घटनाक्रम में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा के मंच पर भारत ने यूक्रेन की स्थिति पर चिंता जाहिर की है. दरअसल, रूस के राष्ट्रपति ने डोनेट्स्क और लुहान्स्क (Russia Donetsk Luhansk independence) को स्वतंत्र घोषित किया. इसके बाद संकट और गहराता दिख रहा है. यूक्रेन के हालात समझने के लिए पढ़ें रिपोर्ट-

astha sindh returns from ukraine
यूक्रेन से लौटी आस्था सिंध

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Published : Feb 22, 2022, 2:02 PM IST

वडोदरा :यूक्रेन में युद्ध की आशंका के बीच भारतीय लोग स्वदेश लौट रहे हैं. ऐसी ही एक मेडिकल की छात्रा गुजरात के वडोदरा लौटी. यूक्रेन से लौटने के बाद मीडिया से बात करते हुए छात्रा आस्था सिंधा (astha sindh returns from ukraine) ने बताया कि घर से बाहर रहने पर तनाव होता है. उन्होंने अन्य देशों के छात्रों के बारे में बताया कि जैसे-जैसे लोगों को विमान मिल रहा है. आस्था ने बताया कि अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को यूक्रेन से निकलने की अपील की है, ऐसे में यूक्रेन से अधिकांश विदेशी छात्र स्वदेश लौट रहे हैं.

यूक्रेन से लौटी छात्रा और उसके पिता का बयान

आस्था के पिता अरविंद सिंधा (Arvind Sindha) ने कहा कि गत लगभग एक महीने से यूक्रेन में युद्ध की आशंका के बीच गत सप्ताह तनाव ज्यादा बढ़ गया, ऐसे में उन्होंने आस्था को वापस बुला लिया. उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय ने एयरलाइन कंपनी से बात कर एक लाख की बजाय 50 हजार रुपये का किराया लिया. इसके बाद उन्होंने बच्ची को वापस बुला लिया.

उन्होंने बताया कि पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक लोग तनाव पैदा करने का प्रयास कर रहे थे. हालांकि, आस्था का कॉलेज पश्चिमी यूक्रेन में था. आस्था के पिता ने कहा कि गत 10 दिनों में परिस्थिति ज्यादा बिगड़ने के कारण भारतीय दूतावास ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी, इसलिए उन्होंने बच्ची को भारत बुला लिया.

क्या है यूक्रेन की स्थिति और रूस का रूख
गौरतलब है कि नागरिकों के लिए जारी परामर्श में यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर नागरिकों, विशेषकर छात्र, जिनका प्रवास आवश्यक नहीं है, उन्हें अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ देना चाहिए. यूक्रेन में तनाव बढ़ने का कारण रूस और नाटो द्वारा एक-दूसरे पर सैनिकों की तैनाती के आरोप लगाना है. अमेरिका ने यूक्रेन पर आक्रमण की आशंका के बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन से वार्ता की पेशकश की थी. युद्ध की आशंका के बीच रूस किसी भी हमले की संभावना से इनकार करता रहा है. रूस का कहना है कि उसका इरादा किसी देश पर हमला करने का नहीं है. यूक्रेन संकट के बीच रूस का दावा है कि सैनिकों की संख्या में वृद्धि सैन्य अभ्यास के मद्देनजर की जाती है. यह यूक्रेन या किसी अन्य देश के लिए कोई खतरा नहीं है. हालांकि, शीत युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति को लेकर रूस ने अन्य स्पष्टीकरण देने से इनकार भी किया है.

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संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यूक्रेन संकट
यूक्रेन मुद्दे परसंयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (The UN Security Council) की बैठक में भारत अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यूक्रेन सीमा पर तनाव चिंता का विषय है. वहीं, अमेरिका ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर रूस का स्पष्ट हमला अकारण है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों ने भी अपने पक्ष रखे.

यूएनएससी में अमेरिकी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड (Linda Thomas-Greenfield) ने कहा, ' यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर रूस का स्पष्ट हमला अकारण है. यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र के रूप में यूक्रेन पर हमला है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह कदम स्पष्ट रूप से यूक्रेन पर हमला करने का बहाना बनाने के प्रयास का आधार है.

UN के मंच पर बोला रूस- हम मजबूर हैं, यूक्रेन की ओर से वार्ता की अपील
यूएनएससी की बैठक में रूस के प्रतिनिधि ने कहा, 'राजनयिक समाधान के लिए हमारे कूटनीति रास्ते खुले हैं. हालांकि, डोनबास में रक्तपात की अनुमति देना कुछ ऐसा है जिसे करने का हमारा इरादा नहीं है. लेकिन अमेरिका के नेतृत्व में उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा निभाई गई नकारात्मक भूमिका को लेकर हम मजबूर हैं.' संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लिट्स्या ने कहा, 'हम रूस से वार्ता के लिए अनुरोध करते हैं. हम उस आदेश की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें यूक्रेन के क्षेत्रों में अतिरिक्त रूसी सैनिकों को तैनात करने के लिए कहा गया है.

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गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी को डोनेट्स्क और लुहान्स्क (Russia Donetsk Luhansk independence) की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए. रूस के राष्ट्रपति भवन के मुताबिक रूस की सुरक्षा परिषद ने डोनबास के आसपास की वर्तमान स्थिति पर विचार किया. इसके बाद डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र पीपुल्स रिपब्लिक की मान्यता देने का निर्णय लिया गया.

रूस ने दो प्रांतों को स्वतंत्र घोषित किया
इससे पहले दिन में, पुतिन ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रॉन (French president Emmanuel Macron) और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज (German chancellor Olaf Scholz) के साथ एक फोन कॉल किया और कहा कि वह डोनेट्स्क और लुहान्स्क की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले एक डिक्री पर हस्ताक्षर करेंगे. रूस के राष्ट्रपति भवन- क्रेमलिन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ फोन पर बातचीत की. पुतिन ने दोनों नेताओं को रूसी सुरक्षा परिषद की विस्तारित बैठक के परिणामों पर जानकारी दी.

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समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक शनिवार को, रूस के रोस्तोव क्षेत्र ने पूर्वी यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के शरणार्थियों के लिए 15 बॉर्डर कॉसिंग खोल दी थी. उसी दिन, रूसी समर्थक अलगाववादी- डीपीआर के प्रमुख डेनिस पुशिलिन ने घोषणा की थी कि उन्होंने सामान्य संचालन पर एक डिक्री पर हस्ताक्षर किए (decree on general mobilisation) हैं.

(एजेंसी इनपुट)

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