नई दिल्ली :यूक्रेन में चल रहे रूसी सैन्य अभियानों के बीच केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल में संवाददाताओं को बताया कि यूक्रेन से भारतीयों को लाने गया विमान युद्धग्रस्त हालात के कारण यूक्रेन में लैंड नहीं कर सका. उन्होंने कहा कि यूक्रेन से वापस आने के इच्छुक लोगों को वापस लाने के लिए एअर इंडिया के विमान संचालित किए जा रहे थे. तीन घंटे की उड़ाने के बाद एयरस्पेस बंद किए जाने की जानकारी मिली. इस कारण विमान को भारत लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हालात पर करीबी नजर रख रही है. विदेश मंत्रालय से भी चर्चा की गई है. सिंधिया ने आश्वस्त किया कि एयर स्पेस खुलने और हालात नियंत्रण में आने के बाद सरकार विमानों को दोबारा संचालित करेगी.
यूक्रेन से भारतीयों की वापसी पर पूर्व राजदूत शशांक सिंह ने बताया कि यूक्रेन के एयरस्पेस के लिए NOTAM जारी किए जाने के बाद हालात चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक रहते हैं. ऐसे में भारत को रूस या अन्य पड़ोसी देशों से बात करनी चाहिए. शशांक सिंह ने बताया कि भारतीयों लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए रूस के अलावा पश्चिमी और सेंट्रल यूरोप के देशों से बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा की एयरस्पेस बंद रहने की स्थिति में सरफेस रूट से भारतीय लोगों को अन्य देशों में भेजने का विकल्प चुना जा सकता है. यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भारतीयों को पहुंचाना पहला लक्ष्य होना चाहिए.
सिविलियन एयरक्राफ्ट के संचालन पर रोक की स्थिति में सेना के हरक्युलिस जैसे विमानों के प्रयोग के विकल्प पर राजनयिक शशांक सिंह ने बताया, अगर यूक्रेन और रूस ऐसा कहते हैं कि नागरिक विमानों का संचालन नहीं किया जा सकता तो इस पर विचार किया जा सकता है, लेकिन यह संवेदनशील समय है. उन्होंने कहा कि सेना के विमानों का प्रयोग ऐसी स्थिति में होता है जब देश कहे कि आपके नागरिकों को मिलिट्री एयरबेस पर पहुंचा देते हैं, इसके बाद उन्हें सुरक्षित निकाला जा सकता है, लेकिन इसमें कई देश शामिल होते हैं, सभी को साथ पहल करनी चाहिए.
यमन के हालात का जिक्र कर शशांक सिंह ने बताया कि तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तत्परता से कार्रवाई की थी. वहां से नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ने यमन, ईरान, सऊदी अरब से बात कर समन्वय किया था. इस दौरान भारतीयों के अलावा अन्य देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला गया था. दूतावास से राजनयिकों को वापस बुलाए जाने के सवाल पर शशांक सिंह ने बताया कि युद्ध की विभीषिका से बचना पहला लक्ष्य होना चाहिए, लेकिन इस विषय पर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति, विदेश मंत्री डॉ जयशंकर और अन्य लोगों को लगातार संपर्क में बने रहना चाहिए, बातचीत होनी चाहिए.