नई दिल्ली : यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया के दूसरे देशों को युद्ध को लेकर नजरिया बदल दिया है. तकनीक, रणनीति और सैन्य उपकरणों पर कितना खर्च किया जाना है, इसकी एक बानगी देखने को मिली है. दशकों बाद ऐसा युद्ध हुआ है, जहां पर सबकुछ पहले से हटकर हो रहा है. अभी तक की जानकारी के अनुसार 318 हेलीकॉप्टर गिराए जा चुके हैं. युद्धक टैंक और ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर भी निशाने पर रहे.
28 जून तक यूक्रेन ने 185 रूसी हेलीकॉप्टर के विध्वंस करने की खबर दी है. मंगलवार को रूसी रक्षा सेना के प्रवक्ता ले.जन. आईगोर कोंशेंकोव ने यूक्रेन के एमआई 8 हेलीकॉप्टर को गिराने का दावा किया. रूस के अनुसार उसने अब तक यूक्रेन के 133 हेलीकॉप्टर के साथ-साथ 218 एयरक्राफ्ट को तबाह किया है. दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. इसकी अपनी-अपनी वजहें भी हैं.
सबसे पहले, हेलीकॉप्टर अपेक्षाकृत धीमी और कम उड़ान वाले हवाई प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें गतिशीलता कम होती है. जबकि एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम काफी तेजी से हमला करता है. रोटरी विंग एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर के आधुनिकीकरण और विकास की प्रगति गति नहीं पकड़ पाई है. रूस ने इस संघर्ष में अपने सबसे आधुनिक सैन्य हेलीकॉप्टरों को बड़े पैमाने पर तैनात नहीं किया है. यूक्रेन अभी भी पुराने रूसी हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर रहा है.
दूसरा, युद्ध जारी होने की वजह से यूक्रेन का वायु क्षेत्र, वायु रक्षा प्रणालियों से पटा पड़ा है. दोनों पक्षों ने घातक और सर्वव्यापी एमएएनपीएडीएस को तैनात कर रखा है. इसे कंधे पर रखकर आसानी से लॉंच किया जाता है. यूक्रेन में टैंक-विरोधी हथियारों का इस्तेमाल भी कम-उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को गिराने के लिए किया जा रहा है.