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Russia-Ukraine War : युद्ध के लिए अब हेलीकॉप्टर नहीं, ड्रोन चाहिए !

रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया के दूसरे देशों को कई नई सीख है. युद्ध के लिए अब हेलीकॉप्टर उतने अधिक प्रासंगिक नहीं रह गए हैं. ड्रोन ने युद्ध में कहर मचा दिया है. युद्ध बल के बजाए तकनीक और रणनीति, युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा रहा है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब बरुआ की एक रिपोर्ट.

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Published : Jun 28, 2022, 10:03 PM IST

नई दिल्ली : यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया के दूसरे देशों को युद्ध को लेकर नजरिया बदल दिया है. तकनीक, रणनीति और सैन्य उपकरणों पर कितना खर्च किया जाना है, इसकी एक बानगी देखने को मिली है. दशकों बाद ऐसा युद्ध हुआ है, जहां पर सबकुछ पहले से हटकर हो रहा है. अभी तक की जानकारी के अनुसार 318 हेलीकॉप्टर गिराए जा चुके हैं. युद्धक टैंक और ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर भी निशाने पर रहे.

28 जून तक यूक्रेन ने 185 रूसी हेलीकॉप्टर के विध्वंस करने की खबर दी है. मंगलवार को रूसी रक्षा सेना के प्रवक्ता ले.जन. आईगोर कोंशेंकोव ने यूक्रेन के एमआई 8 हेलीकॉप्टर को गिराने का दावा किया. रूस के अनुसार उसने अब तक यूक्रेन के 133 हेलीकॉप्टर के साथ-साथ 218 एयरक्राफ्ट को तबाह किया है. दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं. इसकी अपनी-अपनी वजहें भी हैं.

सबसे पहले, हेलीकॉप्टर अपेक्षाकृत धीमी और कम उड़ान वाले हवाई प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें गतिशीलता कम होती है. जबकि एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम काफी तेजी से हमला करता है. रोटरी विंग एयरक्राफ्ट या हेलीकॉप्टर के आधुनिकीकरण और विकास की प्रगति गति नहीं पकड़ पाई है. रूस ने इस संघर्ष में अपने सबसे आधुनिक सैन्य हेलीकॉप्टरों को बड़े पैमाने पर तैनात नहीं किया है. यूक्रेन अभी भी पुराने रूसी हेलीकॉप्टरों का उपयोग कर रहा है.

रूस-यूक्रेन युद्ध

दूसरा, युद्ध जारी होने की वजह से यूक्रेन का वायु क्षेत्र, वायु रक्षा प्रणालियों से पटा पड़ा है. दोनों पक्षों ने घातक और सर्वव्यापी एमएएनपीएडीएस को तैनात कर रखा है. इसे कंधे पर रखकर आसानी से लॉंच किया जाता है. यूक्रेन में टैंक-विरोधी हथियारों का इस्तेमाल भी कम-उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को गिराने के लिए किया जा रहा है.

रूसियों ने S-200, S-300 और यहां तक ​​​​कि शक्तिशाली S-400 को तैनात किया है. यूक्रेनियन को अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो द्वारा सक्रिय रूप से सहायता प्रदान की जा रही है. सोमवार को, यूएस एनएसए जेक सुलिवन ने यूक्रेन को उन्नत मध्यम और लंबी दूरी की वायु रक्षा क्षमताओं की आपूर्ति करने की योजना की घोषणा की.

तीसरा, पूरी तरह से ऑटोनोमस और हथियारों से लैस ड्रोन ने क्रांति ला दी है. ये न्यूनतम हस्तक्षेप पर अपना काम करता रहता है. ये अपने लक्ष्य को बहुत जल्द ढूंढ लेते हैं. उसके बाद उस पर हमला भी करते हैं. यह हेलीकॉप्टर के लिए डेथ-नेल साबित हो रहा है.

चौथा, हेलीकॉप्टर केवल उन जगहों पर अच्छा काम कर पा रहे हैं, जहां पर एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात किया गया है, या फिर वहां पर एंटी डिफेंस सिस्टम का कोई खतरा न हो. लेकिन यूक्रेन में ऐसी स्थिति नहीं है. पांचवां, युद्ध क्षेत्र में एक हेलीकॉप्टर की पारंपरिक भूमिका सामग्री और आपूर्ति के परिवहन में सहायता करना होता है. लेकिन यही काम अब ड्रोन करने लगा है.

खुफिया, निगरानी और टोही संचालन के अलावा, हेलीकॉप्टरों का उपयोग जमीनी लक्ष्यों पर हमला करने और उन क्षेत्रों में काम करने के लिए भी किया जाता है, जहां पहुंचना मुश्किल होता है. ड्रोन यहां पर भी बेहतर काम कर पा रहा है, वह भी बिना किसी ह्यूमन हस्तक्षेप के. ये सभी ऐसे फैक्टर्स हैं, जो आधुनिक युद्ध में हेलीकॉप्टरों की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं. हालांकि, सिविलियन क्षेत्रों में सामग्री और लोगों की निकासी और उन्हें वहां पहुंचाने में अभी भी हेलीकॉप्टर सबसे अच्छी भूमिका निभाता है.

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