भोपाल। आरएसएस अमूमन टिप्पणियों के मामले में इतनी जल्दी मुंह नहीं खोलता, लेकिन बीजेपी से जवाब देने में देरी नहीं हुई, पलटकर नसीहत आई कि, कथा करने आएं हैं कुमार कथा ही करें प्रमाण पत्र ना बाटें. फिर वो सब हुआ जो अमूमन ऐसे प्रसंगों के बाद होता है. कुमार विश्वास की माफी या सफाई जो कह लीजिए वो भी आई और फिर सोशल मीडिया पर एक चिट्ठी भी लहराई. चिट्ठी का मजमून ये था कि, कुमार विश्वास की आरएसएस को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी की वजह से समाज में रोष व्याप्त है लिहाजा कथा पहले ही खत्म करवा दी गई. हालांकि, बाद में चिट्ठी भी फर्जी ही निकली, खैर इसमें 2 राय नहीं कि चुनावी साल में कुमार विश्वास का ये बयान एमपी में तो बवाल बनेगा. देश तक भी नए सवाल की तरह जाएगा. क्योंकि मामला बीजेपी की जड़ और ज़मीन से जुड़ा है.
कुमार की कथा में कई ट्विस्ट:वीडियो झूठ नहीं बोलते और सोशल मीडिया के इस दौर में बात से पलटना भी आसान नहीं होता. लिहाजा कुमार विश्वास जब माफी मांगते सीन में ये सफाई देते हुए आए कि, संघ को अनपढ़ कहने का संदर्भ असल में उनके यहां काम करने वाला एक लड़का था. जो संघ परिवार से ही आता है, लेकिन ये सफाई भी बेअसर रही क्योंकि जो कुमार विश्वास ने शब्दश कहा वो तो सबका आंखो देखा और कानों सुना था. उस पर विश्वास ने ये भी कह दिया कि जो मैं बोल रहा हूं वही अर्थ समझें नए अर्थ समझेंगे तो उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं.