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MP: उज्जैन में इस जगह है घड़ियों का पेड़, जानें क्या है इसकी मान्यता और कैसे हुआ फेमस

मध्य प्रदेश में उज्जैन के पास एक ऐसा मंदिर है जहां घड़ियों का पेड़ है. इस पेड़ पर श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर घड़ी चढ़ाने आते हैं. जानिए इस पेड़ की खासियत के बारे में...

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Published : Jan 20, 2023, 7:38 PM IST

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घड़ियों का पेड़

उज्जैन।आजतक आपने शोरूम और दुकानों में कई सारी घड़ी एक साथ देखी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसा पेड़ दिखाएंगे जो घड़ियों से पूरी तरह लदा हुआ है. इसे घड़ियों का पेड़ भी आप कह सकते हैं. यहां मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु घड़ी चढ़ाते हैं. इस विशाल पेड़ पर 2000 से अधिक घड़ियां लटकी हुई हैं, जिससे लगातार आवाज टिक... टिक... टिक की आती रहती है. यहां से गुजरने वाले श्रद्धालुओं की मानें तो उनका कहना है कि, यह स्थान 10 साल पुराना है.

उज्जैन में है घड़ियों का पेड़:जिले से 45 किलोमीटर दूर उन्हेल रोड से सटा घड़ी वाले बाबा का एक मंदिर है. यह मंदिर सगस महाराज घड़ी वाले बाबा का मंदिर है. इस मंदिर में कोई पंडित साफ सफाई करने के लिए नहीं है. यहां से गुजरने वाले लोग इस पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर अपना माथा टेक कर मन्नत मांगते हैं और फिर जब मन्नत पूरी होती है तो घड़ी चढ़ाकर जाते हैं. ग्रामीणों की मानें तो ये मंदिर 10 साल पुराना है, लेकिन दो साल से ये मंदिर काफी चर्चाओं में आ गया है. ये मंदिर इतना प्रसिद्ध हो गया कि, अब इस 4 बाय 6 फीट के मंदिर में घड़ी रखने की जगह नहीं बची है, इसी वजह से भक्तों ने मंदिर के पास मौजूद पेड़ पर ही घड़ियां टांगना शुरू कर दिया है. हालत ये है कि आज इस छोटे से मंदिर में करीब 2 हजार से अधिक घड़ियां लटकी हुई दिखाई देती हैं.

मन्नत पूरी होने पर चढ़ाते हैं घड़ी: इस मंदिर में घड़ी के साथ-साथ पूजन सामग्री, नारियल, अगरबत्ती, सिगरेट और चिलम भी चढ़ाई जाती है. हालांकि, ये कोई नहीं जानता कि इसे शुरू किसने किया. आने वाले श्रद्धालु पेड़ के नीचे मंदिर में पहले पूजन पाठ करते हैं, और फिर सिगरेट लगाते हैं. बताते हैं कि जिसका वक्त खराब चल रहा हो वह मन्नत यहां मांगता है. उसकी मन्नत पूरी होने पर और वक्त अच्छा होने पर घड़ी चढ़ाकर भक्त जाते हैं. जैसे किसी की शादी नहीं होना, किसी के परिवार में समस्या होना से लेकर अन्य प्रकार की परेशानियों का भी समाधान इस स्थान पर होता है.

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पेड़ पर लगा घड़ियों का मेला:श्रद्धालु यहां अपनी कोई न कोई मन्नत लेकर आते हैं. जब मन्नत पूरी हो जाती है तो घड़ी चढ़ाकर चले जाते हैं. सगस महाराज घड़ी वाले बाबा के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुए इस मंदिर को आसपास के क्षेत्र वासी ही नहीं बल्कि 100 किमी दूर से भी आकर लोग अपनी मन्नतें मांगते हैं. पूरा पेड़ घड़ियों से भरा हुआ है. मंदिर बड़ के पेड़ से सटा हुआ है. छोटे से मंदिर में श्रद्धलुओं की संख्या इतनी बढ़ी की अब दो सालों से मंदिर में घड़ी रखने के लिए जगह नहीं बची, जिसके बाद भक्तों ने बड़ के पेड़ पर ही घड़ी टांगना शुरू कर दिया. बाबूलाल बताते हैं कि मंदिर की साफ सफाई से लेकर पूजन पाठ के लिए कोई भी पंडित नहीं है. अमूमन मंदिर में पूर्णिमा और रविवार को खासी भीड़ रहती है. मंदिर किसने बनवाया कब बना कोई नहीं जनता है. ग्रामीण बताते हैं की सिर्फ दो सालों में मंदिर इतना प्रसिद्ध हो गया कि घड़ियों का मेला पेड़ पर लग गया.

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