नई दिल्ली:विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों से कहा है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अंतिम तिथि सीबीएसई की 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद की निर्धारित करें. आयोग के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने यह जानकारी देते हुए ट्वीट किया, इससे छात्रों को स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा.
ज्ञात हो कि कुछ विश्वविद्यालयों ने दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी है. हालांकि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अभी 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित नहीं किया है. कुमार ने कहा, यूजीसी सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों से आग्रह करता है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अंतिम तिथि सीबीएसई की 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद की निर्धारित करें.
आयोग के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं कॉलेजों के प्राचार्यो को लिखे पत्र में कहा, यह बात संज्ञान में आई है कि कुछ विश्वविद्यालयों ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 में स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण प्रारंभ कर दिया है. इस परिस्थिति में सीबीएसई के छात्र दाखिले से वंचित हो जाएंगे. अगर विश्वविद्यालयों द्वारा अंतिम तिथि बोर्ड द्वारा घोषित परिणाम से पहले की हो.
इसमें कहा गया है, ऐसे में सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया जाता है कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अंतिम तिथि सीबीएसई के 12वीं कक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद की निर्धारित करें, ताकि छात्रों को स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए पर्याप्त समय मिल सके. सीबीएसई के इस महीने के अंत तक बोर्ड परीक्षा का परिणाम घोषित करने की संभावना है.
यूजीसी का आसान, दिव्यांग हितैषी शिक्षण पर जोर
इसके अलावा, यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए जारी दिशा-निर्देश में ऐसा साझा शिक्षण मंच तैयार करने की बात की गई है जो सरल हो और सभी छात्र आसानी से उस तक पहुंच सकें, साथ ही भवनों और बुनियादी ढांचे तक पहुंच और दिव्यांग हितैषी बनाने, वंचित शिक्षण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए ‘ब्रिज पाठ्यक्रम’ तैयार करने सहित अन्य बातों पर जोर दिया गया है.
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दिशा-निर्देश में कहा गया है, 'उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों के लिए पहुंच दिशा-निर्देश और मानदंड में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से दाखिले से लेकर पाठ्यक्रम पूरा होने तक दिव्यांगों के लिए प्रभावी पहुंच वाला तंत्र विकसित करने की बात कही गई है.' दिशा-निर्देश के अनुसार, विश्वविद्यालयों को सुनिश्चित करना होगा कि सभी भवनों और बुनियादी ढांचों तक सबकी पहुंच हो और वे दिव्यांग हितैषी हों; संभावित वंचित शिक्षण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए ब्रिज पाठ्यक्रम विकसित करें और उचित काउंसलिंग तथा मेंटरिंग कार्यक्रमों के माध्यम से सभी छात्रों को सामाजिक-भावनात्मक और शैक्षणिक सहायता प्रदान करें.’