नई दिल्ली : केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अगुआई वाला एलडीएफ दूसरी बार लगातार वापसी कर सकता है और लगातार सत्ता में नहीं आने का चक्रव्यूह तोड़ सकता है. लेकिन इसबार एलडीएफ को प्रचंड बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है. टाइम्स नाउ/एबीपी न्यूज-सी वोटर एक्जिट पोल के अनुसार एलडीएफ जादुई आंकड़े तक पहुंचने में कामयाब रहेगी. एग्जिट पोल के अनुसार, यह लेफ्ट-डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूनाइटेड-डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच का सीधा-सीधा चुनावी मुकाबला है. जिसमें उम्मीद है कि सत्तारूढ़ एलडीएफ सत्ता में बरकरार रहेगी और लगातार सत्ता में नहीं चुने जाने के रिकॉर्ड को तोड़ देगी.
केरल में 6 अप्रैल को राज्य की 140 विधानसभा सीट के लिए मतदान हुए थे. एग्जिट पाले के आंकड़े बताते हैं कि दक्षिणी राज्य में एलडीएफ, यूडीएफ के मुकाबले मामूली बढ़त बनाने में कामयाब रहेगी.
सी वोटर द्वारा साझा किए गए एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में सत्तारूढ़ एलडीएफ को 42.8 प्रतिशत वोट तो यूडीएफ को 41.4 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की उम्मीद है और एनडीए को 13.7 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना है, जो बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके वोट शेयर में कमी आई है.
2016 के विधानसभा चुनावों में, एलडीएफ को 43.5 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे, इसलिए सत्तारूढ़ गठबंधन के वोट शेयर में 0.7 प्रतिशत की मामूली गिरावट की संभावना है. यूडीएफ ने 2016 में 38.8 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, इस प्रकार इसके वोट शेयर में 2.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना है. वहीं 2016 में एनडीए को 14.9 प्रतिशत वोट मिले थे, जिसमें 1.7 प्रतिशत की गिरावट की संभावना है.
आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में वाम गठबंधन को 71 से 77 विधानसभा सीट और मुख्य प्रतिद्वंद्वी - यूडीएफ को 62 से 68 सीट मिलने की संभावना है. राज्य में कुल 140 सीट है. एनडीए को 0 से 2 सीटें मिल सकती हैं.
2016 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ ने 91 सीटें जीती थीं, यूडीएफ ने 47 सीटें और एनडीए ने एक सीट हासिल की थी.
यूडीएफ के वोट शेयर में बढ़ोतरी, पर सत्ता एलडीएफ के पास बरकरार : सर्वे - लेफ्ट-डेमोक्रेटिक फ्रंट
एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में सत्तारूढ़ एलडीएफ को 42.8 प्रतिशत वोट तो यूडीएफ को 41.4 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की उम्मीद है और एनडीए को 13.7 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना है, जो बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके वोट शेयर में कमी आई है.
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