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अयोध्या विवाद पर फैसले के 2 साल: राममंदिर की नींव तैयार, 2023 में होंगे दर्शन

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर की आधार भूमि की ढलाई 1 अक्टूबर से चल रही है. डेढ़ मीटर ऊंचे आधार भूमि में 17 खाने बनने हैं, जिसमें 13 की ढलाई की जा चुकी है.

अयोध्या विवाद पर फैसले के 2 साल
अयोध्या विवाद पर फैसले के 2 साल

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Published : Nov 9, 2021, 11:48 AM IST

हैदराबाद:देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या विवाद पर आज ही के दिन दो साल पहले 2019 को फैसला सुनाया था. इस फैसले को आज दो साल पूरे हो गए हैं.

बता दें, इस दौरान कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भी हजार साल टिकने वाले राम मंदिर की नींव बनकर तैयार है. लेकिन, धन्नीपुर में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ भूमि का नक्शा अभी तक पास नहीं हो सका.

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल के मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर की आधार भूमि की ढलाई 1 अक्टूबर से चल रही है. डेढ़ मीटर ऊंचे आधार भूमि में 17 खाने बनने हैं, जिसमें 13 की ढलाई की जा चुकी है. उन्होंने बताया कि इसे 15 नवंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. जानकारी के मुताबिक मंदिर निर्माण के लिए तीसरे चरण का काम भी इसी महीने शुरू होगा, जिसमें राफ्ट (आधार भूमि) पर 16 फीट ऊंचे राम चबूतरा का निर्माण कार्य किया जाएगा.

14 नवंबर को होगी श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक

सूत्रों से खबर मिली है कि 14 नवंबर को देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के त्रिमूर्ति भवन सभागार में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक होने जा रही है. इसके लिए सभी सदस्यों को निमंत्रण भेजा जा चुका है. इस बैठक में राम मंदिर निर्माण के अब तक हो चुके कार्य की समीक्षा और आगे होने वाले कार्यों पर मंथन किया जाएगा. बता दें, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक चार हजार करोड़ का चंदा आ चुका है.

दिसंबर 2023 तक रामलला नए मंदिर में देंगे दर्शन

राम चबूतरा के लिए 4500 घन फीट में लगाए जाने के लिए बेंगलुरु से ट्रकों से पत्थर मंगाए जा रहे हैं. अप्रैल 2022 से पहले राम मंदिर आकार लेने लगेगा. दिसंबर 2023 में भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे.

मस्जिद के लिए कई NOC अपलोड करना जरूरी

इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ( IICF) ने सरकार से धन्नीपुर में मिली पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद और अस्पताल का नक्शा पास कराने के लिए नक्शा ऑनलाइन जमा किया था. अयोध्या विकास प्राधिकरण में ऑनलाइन नक्शा जमा हो गया है. मगर ऑनलाइन सिस्टम में कई NOC अपलोड करना जरूरी है. इसको IICF की ओर से हासिल करने की कार्रवाई जारी है.

5 जजों की पीठ ने सुनाई था फैसला

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने सर्वसम्मति से अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पीठ में शामिल थे.

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क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट से पहले इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में अपना फैसला सुनाया था. 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था. कोर्ट ने यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच जमीन बंटवारा कर दिया गया था. कोर्ट ने यह जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच जमीन बराबर बांटने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसपर लंबी सुनवाई के बाद शनिवार (9 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और विवादित जमीन रामलला को देने का आदेश दिया.

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