हैदराबाद :26 फरवरी 2019 को भारतीय सेना ने पीओके के अंदर घुसकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमले किए. इससे पहले वायुसेना ने साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाक में एयर स्ट्राइक की थी. यह एयर स्ट्राइक सीआरपीएफ की टुकड़ी पर किए गए आत्मघाती हमले का जवाब था. आतंकवाद और अन्य निकटता का उपयोग करके यह पाकिस्तान की कुटिल योजना का मुकाबला करने में भारत की रणनीति में एक बदलाव था.
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद इन दो वर्षों में पुलवामा जैसा कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में कोई कमी नहीं आई.
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जम्मू-कश्मीर में कुल 41 आतंकी हमले हुए हैं. आतंकवादियों के घुसपैठ के प्रयासों के चलते भारतीय सुरक्षा बलों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ विरोधी ग्रिड स्थापित की गई है. इसे सेना और बीएसएफ की सतर्कता और कड़ी निगरानी के साथ मजबूत किया जा रहा है.
उरी और बालाकोट दोनों एयर स्ट्राइकों ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान की घटिया चाल पर भारत की दृढ़ता का प्रदर्शन किया है. इसकी साहसिकता का अनुमान संघर्ष विराम उल्लंघन की संख्या से लगाया जा सकता है, जो 2019 में 3479 से बढ़कर 2020 में 5133 हो गई.
पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीयकरण करने की हर कोशिश की, 1947 में हुए 65 युद्धों के दौरान उसने जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह से हथियाने की कोशिश की, लेकिन वह नाकाम रहा और 1999 में हुए कारगिल में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी.
पढ़ें-कोरोना टीका : जानिए पीएम मोदी के बाद किन लोगों ने लगवाई वैक्सीन