नई दिल्ली : भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को रक्षा एवं विदेश मंत्रालय स्तर की 'टू-प्लस-टू' वार्ता की जिसका मकसद भूराजनीतिक उथलपुथल के बीच दोनों देशों के बीच संपूर्ण रक्षा एवं सामरिक सहयोग को और बढ़ाना है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों क्रमश: मारिस पायने और पीटर डटन के साथ यहां पर आरंभिक 'टू-प्लस-टू' वार्ता की.
विदेश मंत्री जयशंकर ने अपनी बातचीत को सार्थक बताया . उन्होंने ट्वीट किया, ऑस्ट्रेलिया के साथ टू प्लस टू वार्ता सार्थक रही.
जयशंकर ने संवाद के शुरुआत में अपनी टिप्पणी में कहा, हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर मिल रहे हैं, जब एक महामारी के साथ-साथ हम एक ऐसे भू-राजनीतिक माहौल का सामना कर रहे हैं जिसमें तेजी से उथल-पुथल हो रही है, और ऐसे में हमें द्विपक्षीय रूप से और समान विचारधारा वाले अन्य भागीदारों से मिलकर, अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा तथा एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत का बेहद चुनिंदा देशों के साथ वार्ता के लिये टू-प्लस-टू प्रारूप है.
जयशंकर ने कहा, मेरा यह भी मानना है कि अफगानिस्तान में घटनाक्रम आज हमारे बीच चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय होगा.
उन्होंने कहा, बेशक, यह बैठक हमें व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा करने और आगे बढ़ाने का अवसर देती है क्योंकि हम इस महीने के अंत में संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने प्रधानमंत्रियों के बीच एक और बैठक की तैयारी कर रहे हैं.
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में क्वाड नेताओं के एक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा करने वाले हैं.
घटनाक्रम से परिचित लोगों का कहना है कि दोनों पक्षों ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनजर उत्पन्न स्थिति सहित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की .
उन्होंने बताया कि पूरा ध्यान सामरिक संबंधों को मजबूत बनाने पर रहा. इस वार्ता के परिणामों के बारे में चारों मंत्री बाद में संवाददाता सम्मेलन कर जानकारी साझा करेंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष डटन के साथ शुक्रवार को विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की वहीं जयशंकर ने विदेश मंत्री पायने से 'टू-प्लस-टू' वार्ता से ठीक पहले मुलाकात की.
दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने वार्ता में अफगानिस्तान में नाजुक सुरक्षा हालात पर चर्चा की और तालिबान शासित अफगानिस्तान से आतंकवाद फैलने की आशंका से संबंधित ‘साझा चिंताओं’ के बारे में बात की.
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विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता ऐसे समय हो रही है जब क्वाड समूह के सदस्य देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं. इस समूह में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका और जापान भी हैं.
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पायने ने शुक्रवार को कहा कि क्वाड 'तेजी से' और बहुत 'प्रभावी रूप से' उभरा है और ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में एक मजबूत नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भारत की सराहना करता है.
पायने ने हिंद-प्रशांत के समक्ष 'महत्वपूर्ण चुनौतियों' के बारे में बात की और कहा कि ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा क्षेत्र चाहता है जहां बड़े और छोटे देशों के अधिकारों का सम्मान किया जाए तथा कोई भी 'एकल प्रभावशाली शक्ति' दूसरों के लिए परिणाम तय नहीं करे.
पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग बढ़ा है.
पिछले साल जून में, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन के दौरान साजो- समान की सैन्य ठिकानों तक पारस्परिक पहुंच के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.
(पीटीआई-भाषा)