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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, नाम तय करने में झारखंड के दो नेता निभाएंगे बड़ी भूमिका - अर्जुन मुंडा छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक

Arjun Munda observer of Chhattisgarh. Asha Lakra observer of Madhya Pradesh. मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम आने के बाद से ही इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर चर्चा चल रही है. पार्टी के अंदर और बाहर सीएम के नामों पर चर्चा जोरों पर है. बीजेपी ने इन तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के चयन के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. पर्यवेक्षकों की सूची में झारखंड के दो नेताओं के नाम शामिल हैं.

TWO JHARKHAND LEADERS WILL PLAY AN IMPORTANT ROLE IN SELECTION OF CM IN TWO STATES
TWO JHARKHAND LEADERS WILL PLAY AN IMPORTANT ROLE IN SELECTION OF CM IN TWO STATES

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 8, 2023, 3:24 PM IST

Updated : Dec 8, 2023, 7:02 PM IST

रांची: विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक के बाद भाजपा में इस बात पर जोरशोर से मंथन चल रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कमान किसको दी जानी चाहिए. मंथन इसलिए जरुरी हो गया है क्योंकि कुछ माह बाद ही लोकसभा का चुनाव होना है. जाहिर है कि उसी को जिम्मेदारी मिलेगी जो ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें दिलाने की क्षमता रखता हो. जिसकी जनता और प्रदेश संगठन पर मजबूत पकड़ हो. लिहाजा, इन सवालों को पटरी पर लाने के लिए पार्टी अध्यक्ष के निर्देश पर राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने पर्यवेक्षकों की सूची जारी की है. इस सूची में झारखंड के अर्जुन मुंडा और आशा लकड़ा का नाम शामिल है.

बीजेपी के पर्यवेक्षकों की सूची

जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को छत्तीसगढ़ और रांची की पूर्व मेयर सह भाजपा की राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा को मध्य प्रदेश के विधायक दल के नेता के चयन के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया है. हालाकि इन दोनों के अलावा कई और नेता भी पर्यवेक्षक बनाए गये हैं. लेकिन सवाल है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए झारखंड के इन नेताओं को चुनने के पीछे का मकसद क्या हो सकता है.

अर्जुन मुंडा और आशा लकड़ा को जिम्मेदारी की वजह:अर्जुन मुंडा खूंटी से भाजपा के सांसद हैं. जबकि आशा लकड़ा रांची की पूर्व मेयर रही हैं. दोनों नेता आदिवासी समाज से आते हैं. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में एसटी के लिए रिजर्व सीटों पर भाजपा को जबरदस्त समर्थन मिला है. मध्य प्रदेश में 47 एसटी सीटों में से 24 पर भाजपा और 22 पर कांग्रेस की जीत हुई है. 2018 के चुनाव में भाजपा को मध्य प्रदेश में महज 15 एसटी सीटों पर जीत मिली थी.

वहीं छत्तीसगढ़ में एसटी के लिए 29 सीटें रिजर्व हैं. इनमें 16 सीटों पर भाजपा और 12 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है. पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को जबरदस्त चोट पहुंची है. लिहाजा, आलाकमान ने इन दोनों राज्यों में विधायक दल के नेता को चुनने के लिए झारखंड से अर्जुन मुंडा और आशा लकड़ा को भी पर्यवेक्षक बनाया है. जाहिर है कि दोनों राज्यों में सीएम के चुनाव में इनकी अहम भूमिका रहेगी. क्योंकि झारखंड में हुए 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 28 एसटी सीटों में से सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी. एक तरह से भाजपा यह संदेश दे रही है कि वह एसटी समुदाय को लेकर कितनी गंभीर है.

पर्यवेक्षकों की लिस्ट और जिम्मेदारी:मध्य प्रदेश में विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा का नाम शामिल है. छत्तीसगढ़ के लिए जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के अलावा केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम पर्यवेक्षक बनाए गये हैं. राजस्थान के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्य सभा सांसद सरोज पांडेय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को जिम्मेदारी दी गई है.

एमपी और छग की रेस में किनके-किनके नाम:भाजपा में नेताओं की कमी नहीं है. हर नेता की अपनी एक अलग पहचान है. छत्तीसगढ़ की बात कहें तो यहां पूर्व सीएम रमन सिंह के अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय और आईएएस की पद छोड़कर चुनाव जीतने वाले ओपी चौधरी के नाम की चर्चा चल रही है. आदिवासी समाज से आने वाली रेणुका सिंह भी रेस में दिख रही हैं. प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और पूर्व मंत्री रामविचार नेताम भी दौड़ में शामिल हैं. इस चयन में इस बात पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कौन सबसे ज्यादा सीटें निकालने की ताकत रखता है.

मध्य प्रदेश में एंटी इंकमबेंसी के बावजूद शिवराज सिंह चौहान के लाड़ली बहन योजना को भी भाजपा का मास्टर स्टोक कहा जा रहा है. हालांकि पूरे चुनाव के दौरान उनको सीएम के रुप में प्रोजेक्ट नहीं किया गया. फिर भी सीएम की रेस में उनके नाम को दरकिनार नहीं किया जा सकता. इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रह्लाद सिंह पटेल और कैलाश विजयवर्गीय के नाम की भी चर्चा चल रही है. समय के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले फग्गन सिंह कुलस्ते भी इस रेस में दावेदार दिख रहे हैं.

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Last Updated : Dec 8, 2023, 7:02 PM IST

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