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किस बात से टूट रहे रखवाले? दो दिन में दो जवानों ने की आत्महत्या

नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान लगातार आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. एक बार फिर कोंडागांव में ITBP के एक जवान ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. 10 फरवरी को नारायणपुर में भी ITBP के जवान ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी, लगातार दो दिन के भीतर दो जवान के आत्महत्या से फिर सवाल उठने लगे हैं.

jawan suicide
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Published : Feb 12, 2021, 11:00 PM IST

रायपुर : नक्सल मोर्चे पर तैनात जवान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में दो दिन के अंदर ITBP के दो जवानों ने जान दे दी. शुक्रवार को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) 29 बटालियन के जवान ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली.

शुक्रवार को ITBP 29 बटालियन के जवान उरंदाबेड़ा कैंप से गश्त पर निकले थे. गश्त के दौरान जंगल में ही मोनू सिंह नाम के जवान ने खुद को गोली मार ली, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई. वे उत्तर प्रदेश के सहरानपुर जिले के रहने वाले थे. अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि जवान ने यह कदम क्यों उठाया. एसपी ने इसकी पुष्टि की है.

बीते 10 फरवरी को भी फरसगांव क्षेत्र में आईटीबीपी 29 बटालियन के जवान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जवान का नाम भूपेश सिंह था. भूपेश उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला था. वो फरसगांव थाने के कैंप में पदस्थ था. भूपेश एक महीने पहले ही छुट्टी से वापस लौटा था. गुरुवार को ड्यूटी से वापस कैंप जाने के बाद जवान ने शौचालय में फांसी लगा ली. आत्महत्या के कारणों का अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है. पुलिस मामले में आगे की जांच कर रही है.

डिप्रेशन का शिकार हो रहे जवान !

डिप्रेशन में जा रहे जवान लगातार आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं. खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को ज्यादा मानसिक तनाव में देखा जा रहा है. 2019 में प्रदेश के 36 जवानों ने आत्महत्या की थी. पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2007 से साल 2019 तक की स्थिति के मुताबिक सुरक्षा बल के 201 जवानों ने आत्महत्या की है. इसमें राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान भी शामिल हैं.

तनाव की वजह से देते हैं जान !

मिलिट्री साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर वर्णिका शर्मा ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था का पूरा दायित्व सुरक्षाबलों की जवाबदेही होती है. केंद्र और राज्य शासन से अनुमोदित सुरक्षा बल ये कार्य करते हैं. संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में दायित्व निर्वहन अपेक्षाकृत चुनौतीपूर्ण होता है. नक्सलियों के कोवर्ट वॉर से सदैव फियर एंड शॉप का दबाव होता है. भौगोलिक दशा तनाव के प्राथमिक कारण होते हैं. इसके अलावा हर रोज से जुड़ी कई समस्याएं हैं, उन्हें लेकर अधिकारियों से सामंजस्य की कमी होना भी शामिल है. इसके अलावा सामान्य पारिवारिक जनजीवन से दूरी और संपर्क का अभाव तनाव का मुख्य कारण होता है.

गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने दिया था पहले भी बयान

तनाव और डिप्रेशन के कारण कई जवान आत्महत्या कर चुके हैं. इस पर ताम्रध्वज साहू ने अपने पहले दिए गए बयान में कहा था कि लंबे समय से परिवार से दूर रहने के कारण जवान ऐसे कदम उठा रहे हैं. उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार जवानों को तनावमुक्त करने के लिए अभियान चला रही है. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि इसके लिए भी अधिकारियों से चर्चा हो रही है और ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं. गृह मंत्री ने कहा कि जवानों को तनाव से दूर रखने मनोरंजन के साधन जैसे टीवी भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जवानों की घरवालों से रोजाना बात हो सके इसकी भी व्यवस्था की जा रही है. जहां नेटवर्क की समस्या है वहां भी टावर स्थापित किए जा रहे हैं. गृह मंत्री ने इस बात से इनकार किया था कि जवानों के बीच तनाव की वजह कैंप हैं.

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'स्पंदन अभियान' की शुरुआत

पुलिसकर्मियों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कोंडागांव पुलिस ने 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत हर सोमवार, बुधवार और शनिवार को कोंडागांव के रक्षित केंद्र में खेलकूद, योग और शारीरिक व्यायाम का अभ्यास कराया जाना था.

2 जून 2020 को 'स्पंदन अभियान' हुआ था शुरू

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य पुलिस ने जवानों को अवसाद और तनाव से बचाने के लिए 2 जून से 'स्पंदन अभियान' की शुरुआत की थी. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश सभी पुलिस अधीक्षकों और सेनानियों को जारी कर दिए गए थे.

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