चंडीगढ़ : पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र पहले दिन पूर्व मंत्री सेवा सिंह सेखवां, पूर्व सीपीएस रविंदर सिंह संधू, शहीद नायब सूबेदार जसविंदर सिंह, शहीद सिपाही मंजीत सिंह, स्वतंत्रता सेनानी निरंजन सिंह, अविनाश चंद्र को श्रद्धांजलि देने के बाद 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र विशेष रूप से बीएसएफ के क्षेत्र में वृद्धि के मुद्दे पर बुलाया गया था. सत्र के दौरान बीएसएफ के मुद्दे के अलावा कृषि कानूनों पर पंजाब का रुख भी स्पष्ट किया जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से बीएसएफ का दायरा 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया है. पहले यह क्षेत्र केवल 15 किलोमीटर था. बीएसएफ स्थानीय पुलिस के परामर्श से कोई भी कार्रवाई कर सकती थी. लेकिन अब बीएसएफ किसी भी जगह की तलाशी ले सकती है, किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकती है.
केंद्र सरकार के इस कदम का कई राजनीतिक दलों ने विरोध किया है. इसे संघीय व्यवस्था में हस्तक्षेप करार दिया है. अब पंजाब सरकार ने इस पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है. जहां विपक्षी दल पंजाब सरकार पर केंद्र सरकार से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं, वहीं कांग्रेसी भी राज्य में अपनी ही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी रूप से इस मुद्दे को नहीं उठाने का आरोप लगा रहे हैं.
बिना चर्चा किए स्थगन पर उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने बिना चर्चा के पहले दिन के सत्र को स्थगित करने पर सरकार पर निशाना साधा. विपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. उन्होंने कहा कि पहले सत्र में 2 बैठकें होती थीं लेकिन अब एक दिन में एक बैठक हुई है जो गलत है.अगर 2 दिन में ऐसा हुआ तो आम आदमी पर करीब 1.5 करोड़ का बोझ पड़ेगा. हरपाल चीमा ने कहा कि हम चाहते हैं कि सत्र में पंजाब के अधिकार पर चर्चा हो. विधायक अमन अरोड़ा ने भी सरकार पर बड़े सवाल किए और सत्र को आगे बढ़ाने की मांग की.