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गलवान में चीनी सैनिकों की मौत के आंकड़े पर सवाल, दो चीनी ब्लागर गिरफ्तार

चीनी ने हाल ही में इस बात को स्वीकार किया है कि गलवान झड़प में उसके भी सैनिक मारे गए थे. चीन ने कहा था कि गलवान झड़प में उसके भी पांच अधिकारी मारे गए. इस पर चीन के दो ब्लॉगर ने सवाल उठाए हैं. ब्लॉगर पर चीन ने कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया है. इस बात की पुष्टि चीनी मुखपत्रक ग्लोबल टाइम्स ने की है.

चीनी सैनिकों
चीनी सैनिकों

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Published : Feb 22, 2021, 3:28 PM IST

बीजिंग : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसा में चीन के पांच अधिकारी मारे गए थे. चीन ने यह बात कुछ दिन पहले ही स्वीकारा है. चीन के इस कदम पर दो चीनी ब्लॉगर्स ने सवाल उठाए हैं. इसके बाद चीन ने कार्रवाई करते हुई ब्लागर्स को गिरफ्तार कर लिया है.

चीन के ग्लोबल टाइम्स ने इस बात की पुष्टि की है.

दरअसल, ब्लॉगर्स ने कहा था कि गलवान संघर्ष में पांच से अधिक चीनी अफसर मारे गए थे, लेकिन चीनी सरकार इसको छुपा रही ही है. ब्‍लॉगर्स ने कहा है कि इस संघर्ष में 4 से ज्‍यादा चीनी सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीनी सरकार बता नहीं रही है.

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार 25 वर्षीय ब्लॉगर यांग को सिचुआन प्रांत के मियां यांग शहर से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस अधिकारियों ने अनुसार यांग को सात दिनों तक हिरासत में रखा जाएगा. उसे सात दिनों तक नजरबंद रहना होगा.

भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प
गौरतलब है कि 15-16 जून को भी लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे. वहीं चीन ने भी स्वीकार लिया है कि इस झड़प में उसके पांच अधिकारी मारे गए थे.

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इससे पहले दिन चीन ने पांच अधिकारियों और सैनिकों-क्यूई फेबाओ और चार सैनिकों-चेन होंगजुन, चेन जियानग्रोंग, जिओ सियुआन और वांग झूओरन को मारे जाने की बात स्वीकार किया था, जिन्हें गलवान की घटना में वीरता प्रदर्शित करने के लिए सम्मानित भी किया गया.

उल्लेखनीय है एलएसी पर दोनों देशों के बीच करीब दस महीने से सैन्य गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर टकराव तब शुरू हुआ, जब चीनी सैनिकों ने पिछले साल मई में झील के अंदर और तट पर घुसपैठ करते हुए यथास्थिति बदलने का प्रयास किया था. धीरे-धीरे यह टकराव और क्षेत्रों में फैल गया. झील के दक्षिणी तट पर भारत ने चीन के मुकाबले पहाड़ियों पर अपनी सामरिक स्थिति काफी मजबूत कर ली थी.

हालांकि, अब दोनों देशों की ओर से गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई है, जिससे गतिरोध खत्म होता नजर आ रहा है.

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