बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कुछ अकाउंट, यूआरएल और ट्वीट 'ब्लॉक' करने संबंधी केंद्र सरकार के आदेशों के खिलाफ माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर की एक याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. ट्विटर ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन किये जाने और सामग्री हटाने के लिए इस सोशल मीडिया मंच को निर्देश देने से पहले कथित उल्लंघनकर्ताओं को नोटिस जारी नहीं किये जाने के आधार पर सरकार के आदेशों को चुनौती दी थी. Twitter in Karnataka High court.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर की याचिका पर एक सितंबर को 101 पृष्ठों का एक बयान दाखिल किया था. सोमवार को ट्विटर की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दतार ने दलील दी कि कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में निर्धारित नियमों का पालन कर रही है.
डिजिटल माध्यम से अदालत में पेश हुए दतार ने दलील दी कि कथित उल्लंघनकर्ताओं को नोटिस जारी किये बगैर उसे (ट्विटर को) अकाउंट हटाने के लिए कहे जाने पर एक मंच के रूप में ट्विटर केंद्र द्वारा प्रभावित किया गया. उनके मुताबिक, केंद्र ने कई अकाउंट को बंद करने को कहा जो उसके कारोबार को प्रभावित करेगा. उन्होंने कहा कि कई बड़ी हस्तियों के अकाउंट ट्विटर पर हैं.
दतार ने यह दलील भी दी कि अनुपयुक्त प्रतीत होने वाले ट्वीट को 'ब्लॉक' करने के बजाय, राजनीतिक सामग्री वाले अकाउंट को खुद ही ब्लॉक करने को कहा जा रहा है. उन्होंने दिल्ली में हुए किसानों के प्रदर्शन का जिक्र किया और दावा किया कि मीडिया में प्रसारित की गई सामग्री को ट्विटर पर 'ब्लॉक' करने को कहा गया था.