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त्रियुगीनारायण में टीवी अभिनेत्री निकिता शर्मा ने लिए सात फेरे, शिव-शक्ति विवाह का साक्षी है ये मंदिर

टीवी अभिनेत्री निकिता शर्मा ने रुद्रप्रयाग स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी रचा ली है. निकिता शर्मा ने इंस्टाग्राम पर तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि महादेव के आशीर्वाद से नए जीवन की शुरुआत कर रही हूं. वहीं शादी की खबर सुनने के बाद लोग उन्हें बधाइयां दे रहे हैं.

त्रियुगीनारायण
त्रियुगीनारायण

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Published : Nov 16, 2021, 9:17 PM IST

रुद्रप्रयाग:शिव-पार्वती विवाह स्थल से विश्व विख्यात त्रियुगीनारायण मंदिर में टीवी एक्ट्रेस निकिता शर्मा ने रोहनदीप के साथ सात फेरे लिए. उन्होंने गुपचुप तरीके से इस स्थल पर ब्याह रचाया. शादी में परिवार और चंद करीबी लोग ही शामिल रहे. उन्होंने इंस्टाग्राम में शादी की तस्वीरें पोस्ट की.

रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगीनारायण गांव में स्थित यह भगवान विष्णु और लक्ष्मी का मंदिर है लेकिन इसकी मान्यता शिव-पार्वती विवाह को लेकर ज्यादा है. इसी विशेषता के कारण यहां देश-विदेश से लोग आते हैं.

मंदिर में एक अखंड धूनी है, जिसे लेकर मान्यता है कि ये वही अग्नि है, जिसके फेरे शिव-पार्वती ने लिए थे. आज भी उनके फेरों की अग्नि धूनि के रूप में जागृत है. बताया जाता है कि यहां शादी करने पर वैवाहिक जीवन सुखी रहता है और पति-पत्नी के बीच आजीवन प्रेम और समर्पण का भाव बना रहता है. इस स्थल को वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए काफी बेहतर माना जा रहा है और यहां आने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है.

त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी के लिए देश-दुनिया से लोग आ रहे हैं, पिछले तीन-चार साल से यहां आने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यहां देश और विदेश से लोग शादी करने आ रहे हैं. अभी दो दिन पहले ही इस स्थान पर निकिता शर्मा ने गुपचुप तरीके से शादी रचा ली है. उन्होंने अपने होमटाउन उत्तराखंड में फैमिली की मौजूदगी में सात फेरे लिए.

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त्रियुगीनारायण मंदिर की विशेषता:भगवान विष्णु को समर्पित यह भव्य मंदिर त्रियुगीनारायण गांव में स्थित है. इसका प्राचीन रास्ता गुटठुर से केदारनाथ को जोड़ता है.

यह गांव एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. पौराणिक कथा के अनुसार प्रख्यात हिमवत की राजधानी त्रियुगीनारायण थी और सतयुग में शिव ने पार्वती से इस स्थान पर विवाह किया था. ईश्वरीय शादी के लिए विशाल आग चार कोनों के हवन कुंड में जलायी गई. सभी संतों ने शादी में भाग लिया.

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