सरगुजा: एक बार फिर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव सुर्खियों में है. इस बार अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे सचिन पायलट को समर्थन देने की वहज से उनकी चर्चा है. सचिन पायलट की जो हालत राजस्थान सरकार में है, कमोबेश वैसा ही टीएस सिंहदेव भी छत्तीसगढ़ में महसूस कर रहे हैं. 2018 में सरकार बनने के बाद से ही भूपेश बघेल से मनमुटाव उजागर हुए थे. तभी से भाजपा भी टीएस सिंहदेव को अपने खेमे में लाने की कोशिशों में जुटी है. गाहे बगाहे उनके समर्थन में बयान देकर भाजपा, कांग्रेस के भीतर सुलग रही बगावत की चिंगारी को हवा भी देती रहती है.
सिंहदेव को लेकर सॉफ्ट है भाजपा का रुख: भाजपा नेता लगातार कांग्रेस पर टीएस सिंहदेव को तवज्जो न देने का आरोप लगाते रहते हैं. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास ने तो यहां तक कह दिया कि "पार्टी ने सिंहदेव को किनारे कर दिया है. उनकी न तो सरकार में कोई अहमियत है और न ही पार्टी में." टीएस सिंहदेव के भाजपा में शामिल होने के सवालों पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने बयान में कहा था कि "भाजपा के दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं. टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल में अनबन को वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा ने भी पुष्ट किया है. शशांक शर्मा ने कहा कि "कैबिनेट मंत्री रहते हुए इस्तीफे में जिन शब्दों का उपयोग किया गया, उससे समझा जा सकता है कि इस सरकार में उनकी कैसी पूछ परख थी."