नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विश्वास आधारशिला के रूप में कार्य करता है, जो बीमा करने वाले और कराने वाले के रिश्ते का सार बनाता है. एक बीमा, अनुबंध का दिल और आत्मा उस सुरक्षा में निहित है जो यह उन लोगों को प्रदान करता है जो बीमा कराना चाहते हैं. ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की है.
इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) द्वारा पारित एक आदेश के खिलाफ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य की अपील को खारिज कर दिया है. जिसने फायर इंश्योरेंस मामले में बीमा कंपनी को 6,57,55,155 रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हुए उपभोक्ता की शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया था.
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा, 'जोखिम और अनिश्चितता के दायरे में व्यक्ति और संगठन बीमा के गढ़ में सांत्वना तलाशते हैं - विश्वास की आधारशिला पर बनी संधि विश्वास आधारशिला के रूप में कार्य करती है, जो बीमाकर्ता-बीमित संबंध का सार बनता है.'
पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि मूल सिद्धांत यह है कि बीमा उबरिमे फिदेई के सिद्धांत द्वारा शासित होता है - बीमाधारक की ओर से पूर्ण सद्भावना होनी चाहिए.
24 नवंबर को पास आदेश में जस्टिस रॉय ने कहा कि 'एक बीमा अनुबंध का हृदय और आत्मा उस सुरक्षा में निहित है जो यह उन लोगों को प्रदान करता है जो इसके द्वारा बीमा कराना चाहते हैं. यह समझ इस मूलभूत विश्वास को समाहित करती है कि बीमा अपनी शर्तों के भीतर विश्वास की पवित्रता को संरक्षित करते हुए सुरक्षा और क्षतिपूर्ति प्रदान करता है. प्रभावी रूप से, बीमाकर्ता अच्छे विश्वास के साथ कार्य करने और अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने के लिए एक प्रत्ययी कर्तव्य मानता है.'
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि बीमा अनुबंधों में ट्रस्ट की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बीमाकर्ता इस तरह के अनुबंध के आधार पर उस पर लगाए गए कर्तव्य को पर्याप्त रूप से पूरा करता है.
एनसीडीआरसी ने 10 अगस्त, 2022 को पारित एक आदेश में उपभोक्ता की शिकायत को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को अग्नि बीमा दावे के लिए 6,57,55,155/- रुपये का भुगतान दावा अस्वीकृति तिथि से 8 सप्ताह के भीतर 9% ब्याज के साथ करने का निर्देश दिया था. इस आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी शीर्ष अदालत चली गई.
2018 का है मामला :14 मार्च 2018 को बीमाधारक के गोदाम में आग लग गई. मुदित रोडवेज (प्रतिवादी) ने बीमा कंपनी और कस्टम अधिकारियों को इसकी सूचना दी. सर्वेक्षण और जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद, बीमा कंपनी ने 15 जुलाई, 2019 के संचार के साथ प्रतिवादी के दावे को खारिज कर दिया.
उनके बाद 14 दिसंबर, 2019 में दो कारण बताए गए. पहला ये कि बीमाकृत परिसर आग से अप्रभावित था और दूसरा सुरक्षित सीमा शुल्क-बंधित गोदाम में छत के निर्माण के दौरान बीमाधारक की लापरवाही के कारण आग लगी थी. कंपनी ने कहा कि गोदाम में निर्माण कार्य से जोखिम बढ़ गया, जिससे पॉलिसी के नियमों और शर्तों के खंड 3 के तहत बीमा कवरेज बंद हो गया.