नई दिल्ली: लता मंगेशकर के इस फानी दुनिया से कूच करने के बाद उनके जीवन से जुड़े किस्सों में कई तरह की बातें रवां हो रही हैं, लेकिन असलियत क्या है, ये कोई नहीं बता रहा है. लिहाज़ा 'ईटीवी भारत' ने लता मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर के रिश्ते के मर्म को समझने के लिए उन लोगों को जोड़ा. जो इन दो महान शख्सियतों से उनके जीवन काल में जुड़ी रहीं. दोनों के रिश्तों में प्रेम कहानी का एंगल तलाशने वालों के 'किस्से बनाने वाले' नहीं बल्कि हम आपको उन लोगों से मिला रहे हैं, जिन्होंने इन दोनों की जिंदगियों को बहुत करीब से देखा है.
ईटीवी भारत ने बात की गोपेन्द्र नाथ भट्ट से, जिनके पिता पं. कांतिनाथ भट्ट, राजसिंह डूंगरपुर और उनके अन्य भाई-बहनों के शिक्षक रहे. वह महारावल लक्ष्मण सिंह के राजनीतिक सचिव भी थे. पूरा राजपरिवार उन्हें 'माड़साहब' (मास्टर साहब) के सम्बोधन से पुकारा करता था. अपने पिता के साथ और बाद में भी राजसिंह डूंगरपुर के जीवन को करीब से देखने वाले गोपेन्द्र नाथ भट्ट ने लता मंगेशकर के जीवन में राजसिंह डूंगरपुर की भूमिका से जुड़े सवाल पर कहा कि लता मंगेशकर और राजसिंह में कई बातें बहुत कॉमन थीं. क्रिकेट के प्रति राजसिंह का जुनून उन्हें डूंगरपुर के राजघराने से मुंबई ले आया. यहीं उनकी मुलाकात हृदयनाथ मंगेशकर से हुई और राजसिंह डूंगरपुर की मंगेशकर परिवार से नजदीकियां आगे बढ़ती रहीं.
संगीत के भी शौकीन रहे राजसिंह डूंगरपुर को लता की आवाज बहुत लुभाती थी. उधर क्रिकेट के प्रति लता मंगेशकर की दिलचस्पी ने राजसिंह को उनसे जोड़े रखा. मुंबई में मरीन ड्राइव पर ब्रेबोर्न क्रिकेट स्टेडियम और सीसीआई के पास स्थित विजय महलमें अक्सर दोनों के बीच बातें होती थीं, मुलाकातें होती थीं. दोनों के विवाह हो जाने या अफेयर को लेकर उस जमाने में भी पत्रिकाओं में काफी कुछ छपा. कई तरह के किस्से बनाए गए, लेकिन इन दोनों ने कभी न तो इन बातों को स्वीकार किया और न ही इनका खंडन करने की जरूरत महसूस की.
सामाजिक बंधनों से परे साथ रहते हुए एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव ज्यादा था. कई मौक़ों पर लता मंगेशकर डूंगरपुर राजपरिवार के सदस्यों से भी मिलती रहीं. सार्वजनिक रूप से दोनों के रिश्ते का कभी दोनों ने जिक्र नहीं किया, लेकिन दोनों के बीच आत्मीय संबंध छिपे भी नहीं रहे. वो खुशियों में कम लेकिन एक-दूसरे की परेशानियों में ज्यादा साथ खड़े नजर आते थे. राजसिंह डूंगरपुर ने लता मंगेशकर के समाज सेवा से जुड़े कामों में बहुत मदद की. बताते हैं कि राजसिंह डूंगरपुर ने मुंबई में अपनी प्रॉपर्टी से मिली अधिकांश राशि दीनानाथ मंगेशकर ट्रस्ट के नाम कर दिया.
ईटीवी भारत के साथ टेलीफोनी चर्चा में जुड़े मुंबई निवासी डॉ. भंडारी वह शख्स हैं, जो राजसिंह डूंगरपुर और लता मंगेशकर दोनों के करीबी रहे हैं. भंडारी ने बताया कि जब राजसिंह डूंगरपुर, लता मंगेशकर और 2001 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुंबई स्थित सह्याद्रि गेस्ट हाउस में लंबी मुलाकात हुई थी उस वक्त वो भी मौजूद थे.