नई दिल्ली :चीन सिकुड़ती अर्थव्यवस्था, घटती आबादी और भारी घरेलू ऋण के नुकसान के साथ अचानक दक्षिण एशिया क्षेत्र में एक बदलती और चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है, जहां वह लंबे समय से भारी निवेश करके अपने प्रभाव क्षेत्रों का निर्माण कर रहा था.
निष्पक्ष होने के लिए, चीन ने व्यापार-आधारित आर्थिक विकास के अपने पुराने मॉडल को नए के साथ बदलना शुरू कर दिया है, जहां घरेलू मांग विकास का इंजन है. लेकिन नया मॉडल पूरी तरह से धीमी आर्थिक वृद्धि को मजबूती नहीं दे सकता है. साल 2021 के मध्य में, कई दशकों में पहली बार चीन की विकास दर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी धीमी थी.
अप्रैल-मई 2020 में सीमा विवाद को लेकर भारत-चीन के बीच टकराव के बाद दोनों एशियाई महाशक्तियों ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास बेहद महंगी सैन्य तैनाती की है.
पाकिस्तान
पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में चीनी निवेश के खिलाफ प्रदर्शन में वृद्धि चीन की शीर्ष चिंताओं में शामिल होगा. 3,000 किलोमीटर लंबा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) 'ड्रैगन' की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की प्रमुख परियोजनाओं में से एक है, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 2013 में सत्ता में आने के बाद शुरू हुई थी. चीन बीआरआई के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाली सड़कों और समुद्री मार्गों का एक नेटवर्क बनाना चाहता है.
सीपीईसी में ग्वादर बंदरगाह परियोजना (Gwadar port project) सबसे महत्वपूर्ण है. इसके जरिए चीन ने पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने का वादा किया और बदले में उसे समुद्र तक जरूरी पहुंच मिलेगी.
चीन पहले ही पाकिस्तान के उग्रवाद प्रभावित बलूचिस्तान प्रांत में समुद्र के किनारे बसे ग्वादर में भारी निवेश कर चुका है और चीनी निर्मित बुनियादी ढांचे को विद्रोहियों द्वारा आसानी से निशाना बनाया जा सकता है.
लेकिन नवंबर के बाद से, ग्वादर परियोजना के खिलाफ स्थानीय बलूचियों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए गए हैं, जो बीजिंग की चिंता का स्तर बढ़ाने वाली है. आजीविका छीन लिए जाने के खतरे चलते प्रदर्शनकारी स्वच्छ पेयजल, समुद्र में मछली पकड़ने की पहुंच और संभावित चीन के मछली पकड़ने के जहाजों (Chinese fishing ships) द्वारा गहरे समुद्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने परियोजना की व्यवहार्यता को उजागर करते हुए ग्वादर को कराची से जोड़ने वाले मुख्य राजमार्ग को बंद कर दिया है, इस तथ्य के बावजूद कि चीन और पाकिस्तान ने CPEC की सुरक्षा के लिए लगभग 25,000 सैनिकों को तैनात करने में सहयोग किया है.
वर्ष 2020 में बीआरआई परियोजनाओं में 22.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ, इन परियोजनाओं में कुल निवेश 139.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया था. सीपीईसी के लिए अनुमानित निवेश 60 अरब डॉलर है और चीन अब तक 25 अरब डॉलर निवेश कर चुका है.
दूसरी ओर, कहा जा रहा है कि सीपीईसी में निवेश करने के लिए चीन के लिए धन की कमी की स्थिति पैदा हो गई है.
चीन स्थित थिंक-टैंक ग्रीन बीआरआई (Green BRI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन अब बीआरआई परियोजना के लिए उस तरह से धन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है, जिस तरह से वह पहले निवेश करता था. साल 2019 में बीआरआई में निवेश 54 प्रतिशत गिरकर 2020 में 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.
श्रीलंका
हाल में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि चीन-श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंध (China-Sri Lankan bilateral relationship) शायद सुचारू रूप से नहीं चल रहे हैं. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह के विकास में देर से चीन और श्रीलंका संबंधों में गिरावट आई है. चीन ने 2017 में श्रीलंका सरकार से हंबनटोटा बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए 2017 में 99 साल की लीज हासिल की थी. श्रीलंका पहले इसे बंदरगाह को भारत और जापान के साथ संयुक्त रूप से विकसित करने की योजना बनाई थी.
एक दिसंबर को, कोलंबो में चीनी दूतावास ने ट्वीट किया कि बीजिंग ने 'तीसरे पक्ष' से 'सुरक्षा चिंता' के कारण श्रीलंका के तीन द्वीपों में अक्षय ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए एक परियोजना को स्थगित करने का फैसला किया है. चीनी दूतावास का इशारा भारत की तरफ था, क्योंकि भारत श्रीलंका के जाफना और तमिलनाडु के बहुत करीब स्थित अनलथिवु (Analthivu), डेल्फ्ट (Delft) और नागदीपा (Nagadeepa) के द्वीपों में चीनी परियोजना का विरोध कर रहा था.
चीन इसके बजाय मालदीव में एक सौर ऊर्जा परियोजना के लिए निवेश करेगा.