केदारनाथ में राहुल गांधी के आगे लगे नारों पर छिड़ी बहस. देहरादून (उत्तराखंड): देवभूमि उत्तराखंड का धार्मिक महत्व के लिए पूरे देश-दुनिया में एक विशेष महत्व है. अतिथि देवो भव: की संस्कृति और उत्तराखंड में आने वालों अतिथियों का सत्कार, उत्तराखंड के लोगों में ही नहीं बल्कि यहां के जल, जंगल और जमीन में भी समाई हुई है. लेकिन चारों धामों में एक केदारनाथ धाम में हाल ही में घटी एक घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की निजी धार्मिक यात्रा के दौरान लगे नारों के कारण ये सवाल उठे हैं.
ये है मामला: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 5 नवंबर को तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड आए. ये उनका निजी दौरा था, जहां वो तीन दिनों तक केदारनाथ धाम में ही रहे. इस बीच जब वो केदारनाथ हेलीपैड से मंदिर के लिए जा रहे थे तो मंदिर परिसर में मौजूद लोगों ने 'जय श्रीराम' और 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए. हालांकि, राहुल गांधी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. राहुल गांधी ने तीन दिन बाबा केदार की पूजा की और 7 नवंबर को यात्रा संपन्न कर दिल्ली लौट गए.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र के साथ घट चुकी है घटना: राहुल गांधी ऐसे पहले व्यक्ति नहीं हैं जिनके आगे केदारनाथ धाम में नारे लगाए गए. इससे पहले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ भी ये घटना घट चुकी है. इसका कारण ये था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की मानें तो इस बोर्ड से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत उत्तराखंड के चारों धामों के प्रबंधन का छोटा सा प्रयास किया जाना था.
चारों धामों के पुरोहित और पंडा समाज ने इस बोर्ड का जबरदस्त विरोध किया था. इस बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत के स्थान पर तीरथ सिंह और फिर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया. फिर लंबे चले विरोध प्रदर्शन के बाद धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का प्रस्ताव वापस ले लिया था. इसी बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत केदारनाथ में बाबा केदार के दर्शन करने गए तो पुरोहितों ने उन्हें दर्शन नहीं करने दिए. इस घटना पर बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों के बयान सामने आए थे. किसी ने घटना का समर्थन किया तो किसी ने विरोध किया था.
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राहुल के साथ घटी घटना का त्रिवेंद्र ने किया विरोध: पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने साथ घटी इस घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि, 'निश्चित तौर पर ये मानवता के लिहाज से बेहद निंदनीय घटना है.' उन्होंने कहा कि, 'अतिथि देवो भव: का परिचय देने वाले उत्तराखंड में इस तरह की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. मंदिरों पर किसी का एकाधिकार नहीं हो सकता है. ना ही किसी को किसी की आस्था से कोई समस्या होनी चाहिए. राहुल गांधी के खिलाफ किसने नारे लगाए, यह जांच का विषय हो सकता है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से हमारे धार्मिक स्थलों पर इस तरह का माहौल नहीं बनना चाहिए.'
कांग्रेस ने बताया षडयंत्र: दूसरी तरफ कांग्रेस ने केदारनाथ में राहुल गांधी के खिलाफ लगे नारों को षड्यंत्र बताया. कांग्रेस का कहना है कि इस मामले पर बदरी-केदार मंदिर समिति को जवाब देना चाहिए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मंदिर समिति के लोगों द्वारा राहुल गांधी के सामने नारे लगाए गए. कांग्रेस ने इसे ओछी मानसिकता बताते हुए षड्यंत्र करार दिया. कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी का कहना है कि, 'ऐसी नारेबाजी से बड़े नेताओं को फर्क नहीं पड़ता, लेकिन प्रदेश के धार्मिक पर्यटन को इससे बहुत बड़ा नुकसान पहुंचता है. ऐसी घटनाओं से लगने वाली चोट सीधे उत्तराखंड के सीने पर लगती है. उत्तराखंड की संस्कृति अतिथि देवो भव: की है. यहां जो भी भक्त यहां आता है, उसे सिर्फ भक्त की नजर से देखा जाता है.'
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मंदिर समित ने किया बचाव: वहीं, इस पूरे मामले पर सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि, 'कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तराखंड दौरे पर रहे. उन्होंने केदारनाथ धाम के दर्शन किए. लेकिन जनता जनार्दन है. जनता को जो बेहतर लगा वह किया.'
दूसरी तरफ बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने भी इस मामले पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि, 'कांग्रेस के आरोप निराधार हैं. बदरी-केदार मंदिर समिति का काम मंदिर में संचालन और व्यवस्था प्रबंधन का है ना की किसी की सुरक्षा करने का.'
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