अगरतला : त्रिपुरा के बांस उद्योग के लिए एक और बड़ी खबर आई है. राष्ट्रीय राजधानी में बनाए जा रहे नए संसद भवन की सजावट के लिए राज्य के बांस का इस्तेमाल होने जा रहा है. त्रिपुरा के बांस उत्पाद जल्द ही नए संसद भवन के फर्श और पैनलिंग में इस्तेमाल होते दिखेंगे. पूर्वी त्रिपुरा के सांसद रेबती त्रिपुरा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
सांसद दिल्ली में सड़क परिवहन और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग से संबंधित मांगों को लेकर मिले थे. इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है. इसके बाद ट्विटर पर इसकी घोषणा की. हिंदी में लिखे गए उनके ट्वीट का शाब्दिक अर्थ है कि यह राज्य के लिए गर्व की बात है कि त्रिपुरा में बांस से बने उत्पादों का उपयोग नए संसद भवन के फर्श और पैनलिंग को आकर्षक रूप देने के लिए किया जाएगा.
संसद भवन की खूबसूरती में चार-चांद लगाएगा त्रिपुरा का बांस उठाया बिपिन सेतु का मामला
मुलाकात के दौरान रेबती ने मंत्री को बांस की बनी एक कलम भेंट की जो उन्होंने सांसद के पत्रों को संसोधित करने के लिए इस्तेमाल किया था. एक अन्य ट्वीट के अनुसार मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट आह्वान के अनुसार सांसद को बांस क्षेत्र में शून्य दोष शून्य प्रभाव को लागू करने की सलाह दी है. बैठक के दौरान रेबती ने मंत्री को दो पत्र सौंपे और राष्ट्रीय राजमार्ग के धीमी गति से चलने वाले काम में तेजी लाने के लिए उनका हस्तक्षेप मांगा. उन्होंने अंबासा स्थित बिपिन सेतु के बारे में मंत्री का ध्यान आकर्षित किया. बिपिन सेतु त्रिपुरा में उप-डिवीजन अंबासा में स्थित है जो जर्जर अवस्था में है. पुल की मरम्मत एनएचआईडीसीएल द्वारा 2018 से की जा रही है, लेकिन स्थिति को देखते हुए नए भवन के निर्माण की आवश्यकता है.
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राष्ट्रीय राजमार्ग में तेजी की मांग
उन्होंने अपने पहले लिखे दो पत्रों का भी हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने एनएचएआई की सड़क परियोजना धरमनगढ़ से अगरतला और अंबासा से अमरपुर तक के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए मंत्री के हस्तक्षेप की मांग की थी. जो हाल ही में घोषित किया गया था, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुआ. उन्होंने भाजपा विधायक संभू लाल चकमा की एक मांग को भी आगे बढ़ाया जिसमें मनु, चैलेंगा, लालचरा, कंचनपुर, चांदीपुर आदि जैसे हिस्सों में रहने वाले लोगों के लिए पुराने प्रस्ताव के अनुसार सड़कों के निर्माण की मांग की गई थी.