नई दिल्ली : श्रीलंका एक महीने में प्रतिष्ठित परियोजना त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म (Trincomalee oil tank farms) को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए भारत के साथ डील पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है. श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला (Udaya Gammanpila) ने रविवार को यह घोषणा की. इस घोषणा को दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है.
यह परियोजना श्रीलंका के पूर्वी जिले त्रिंकोमाली में स्थापित की जानी है. त्रिंकोमाली एक बंदरगाह शहर है.
इस घटना पर भारत के पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा, 'भारत लंबे समय से इस क्षेत्र पर चीन के प्रभाव को बदलने या कम करने की कोशिश कर रहा है. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने संकेत दिए हैं कि वह संबंध मजबूत करने के लिए भारत से बात करेंगे. इसी तरह, श्रीलंका में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की है.
उन्होंने कहा कि समस्याओं के बावजूद, कोलंबो वेस्ट परियोजना भारत को दी गई है और अब श्रीलंका के साथ त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करना निश्चित रूप से भारत के लिए बहुत फायदेमंद होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में तमिल मूल के श्रीलंकाई लोग बसे हुए हैं. इसलिए, भारत के लिए वहां पैर रखना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.
पूर्व राजनयिक त्रिपाठी का कहना है कि श्रीलंका के साथ भारत के संबंध महिंदा राजपक्षे के पहले शासन के दौरान की तुलना में बेहतर रहे हैं. भारत के मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, ईरान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और हाल ही में, भारत ने संबंध को ठीक करने के लिए म्यांमार से संपर्क किया है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि भारत हिंद महासागर में (विशेष रूप से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी) चीन को रोकने की कोशिश कर रहा है और इसे काफी हद तक करने में सक्षम है.
उन्होंने कहा कि नई दिल्ली और कोलंबो के बीच त्रिंकोमाली परियोजना के लिए समझौता श्रीलंका के करीब आने की दिशा में एक और कदम होगा. त्रिंकोमाली तेल टैंक फार्म का सामरिक महत्व यह है कि इस क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत होगी, क्योंकि समय-समय पर श्रीलंकाई नेताओं ने दोहराया है कि देश बहुत ही अनिश्चित स्थिति में है क्योंकि यह दो बड़ी शक्तियों- भारत और चीन के बीच फंस गया है.