कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) अपने नए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बंदोपाध्याय (Abhishek Bandopadhyay) के नेतृत्व में धीरे-धीरे अपनी राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं (national expansion plans) पर काम कर रही है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि तृणमूल शुरू में त्रिपुरा से शुरू होने वाले उत्तर पूर्वी राज्यों (North Eastern states) पर ध्यान केंद्रित करेगी और इन राज्यों में असंतुष्ट नेताओं और पार्टियों के साथ संरचित संवाद स्थापित करेगी.
एक लोकप्रिय कहावत है कि समय पर और सुरक्षित रूप से गंतव्य तक पहुंचने के लिए यात्रा को जल्दी शुरू करना पड़ता है. इसलिए तृणमूल नेतृत्व (Trinamool leadership ) अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha election ) में एक प्रमुख राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने की यात्रा शुरू कर रहा है.
हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal assembly elections) में शानदार सफलता से खुश, तृणमूल नेतृत्व अब 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए शुरुआती कदम उठा रहा है.
जिन दो प्रमुख नेताओं के आधार पर तृणमूल कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं को लागू करने की कोशिश कर रही है, उनमें नव नियुक्त पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, अभिषेक बंदोपाध्याय और लोकप्रिय वोट रणनीतिकार प्रशांत किशोर ( Prashant Kishore) शामिल हैं, जिन्हें पीके के नाम से जाना जाता है.
तृणमूल नेतृत्व इस बात को स्वीकार करता है कि 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में पीके की रणनीति ने अद्भुत काम किया और वे संकट से निपटने में तृणमूल कांग्रेस की सहायता करने में बेहद सफल रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home minister), अमित शाह (Amit Shah) और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं द्वारा रिकॉर्ड संख्या में राज्य के दौरे के बावजूद, भगवा खेमा नबन्ना के राज्य सचिवालय (state secretariat of Nabanna) में जगह बनाने में असमर्थ रहा.
इसके उलट पीके के रणनीतिक कदमों जैसे डीडाइक बोलो (दीदी से बात करें), बांग्लार गोरबो ममता (बंगाल की शान ममता हैं) और बांग्ला निजेर मेयेकेई चाय (बंगाल अपनी बेटी चाहती है) ने बंगाल के लोगों के बीच तृणमूल कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ा दी.
अब तृणमूल 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय नेटवर्क के विस्तार के अपने प्रयास में कुछ ऐसी ही रणनीतियां लागू करना चाहती है. रणनीति की नई पंक्ति यह है कि पार्टी अन्य राज्यों में सहयोगियों पर निर्भर रहने के बजाय वहां अपने संगठनात्मक नेटवर्क का विस्तार करने की कोशिश करेगी. तृणमूल के सूत्रों ने बताया कि अभिषेक बंदोपाध्याय और पीके ने इस मामले में पार्टी का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है.
हालांकि, आधिकारिक तौर पर तृणमूल नेता इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग के नेताओं ने नाम न छापने की सख्त शर्त पर ईटीवी भारत से बात की.