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2024 लोकसभा चुनाव पर टीएमसी की नजर, राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं का काम शुरू

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) 2024 लोकसभा चुनाव से पहले अपनी राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं (national expansion plans) पर काम कर रही है.

टीएमसी
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Published : Jul 13, 2021, 2:14 AM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) अपने नए राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बंदोपाध्याय (Abhishek Bandopadhyay) के नेतृत्व में धीरे-धीरे अपनी राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं (national expansion plans) पर काम कर रही है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि तृणमूल शुरू में त्रिपुरा से शुरू होने वाले उत्तर पूर्वी राज्यों (North Eastern states) पर ध्यान केंद्रित करेगी और इन राज्यों में असंतुष्ट नेताओं और पार्टियों के साथ संरचित संवाद स्थापित करेगी.

एक लोकप्रिय कहावत है कि समय पर और सुरक्षित रूप से गंतव्य तक पहुंचने के लिए यात्रा को जल्दी शुरू करना पड़ता है. इसलिए तृणमूल नेतृत्व (Trinamool leadership ) अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha election ) में एक प्रमुख राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने की यात्रा शुरू कर रहा है.

हाल ही में संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों (West Bengal assembly elections) में शानदार सफलता से खुश, तृणमूल नेतृत्व अब 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए शुरुआती कदम उठा रहा है.

जिन दो प्रमुख नेताओं के आधार पर तृणमूल कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं को लागू करने की कोशिश कर रही है, उनमें नव नियुक्त पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव, अभिषेक बंदोपाध्याय और लोकप्रिय वोट रणनीतिकार प्रशांत किशोर ( Prashant Kishore) शामिल हैं, जिन्हें पीके के नाम से जाना जाता है.

तृणमूल नेतृत्व इस बात को स्वीकार करता है कि 2021 के राज्य विधानसभा चुनावों में पीके की रणनीति ने अद्भुत काम किया और वे संकट से निपटने में तृणमूल कांग्रेस की सहायता करने में बेहद सफल रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi), केंद्रीय गृह मंत्री (Union Home minister), अमित शाह (Amit Shah) और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे शीर्ष भाजपा नेताओं द्वारा रिकॉर्ड संख्या में राज्य के दौरे के बावजूद, भगवा खेमा नबन्ना के राज्य सचिवालय (state secretariat of Nabanna) में जगह बनाने में असमर्थ रहा.

इसके उलट पीके के रणनीतिक कदमों जैसे डीडाइक बोलो (दीदी से बात करें), बांग्लार गोरबो ममता (बंगाल की शान ममता हैं) और बांग्ला निजेर मेयेकेई चाय (बंगाल अपनी बेटी चाहती है) ने बंगाल के लोगों के बीच तृणमूल कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ा दी.

अब तृणमूल 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय नेटवर्क के विस्तार के अपने प्रयास में कुछ ऐसी ही रणनीतियां लागू करना चाहती है. रणनीति की नई पंक्ति यह है कि पार्टी अन्य राज्यों में सहयोगियों पर निर्भर रहने के बजाय वहां अपने संगठनात्मक नेटवर्क का विस्तार करने की कोशिश करेगी. तृणमूल के सूत्रों ने बताया कि अभिषेक बंदोपाध्याय और पीके ने इस मामले में पार्टी का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है.

हालांकि, आधिकारिक तौर पर तृणमूल नेता इस मामले में पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं. इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के एक वर्ग के नेताओं ने नाम न छापने की सख्त शर्त पर ईटीवी भारत से बात की.

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कहा कि पहले हम चुनाव से अन्य क्षेत्रीय ताकतों के साथ व्यवस्था करने के लिए ठीक पहले भागते थे, लेकिन इस बार हम तेजी से और मजबूती से आगे बढ़ना चाहते हैं और इसलिए हमने शुरुआत की है. इसलिए अब हम अन्य राज्यों के उन नेताओं की सूची तैयार कर रहे हैं, जो अपनी-अपनी इलाके में लोकप्रिय हैं, लेकिन जिस पार्टी से वे अभी जुड़े हुए हैं, उसके कामकाज से अत्यधिक असंतुष्ट हैं. सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद हम उनके साथ बातचीत शुरू करेंगे.

उन्होंने कहा कि जिस तरह हमने जसवंत सिन्हा (Jaswant Sinha) को चुना, जो 1999 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Behari Vajpayee) के नेतृत्व वाली पहली एनडीए सरकार के कैबिनेट सदस्य थे. हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में ऐसे और नेता हमारे साथ जुड़ेंगे.

तृणमूल के सूत्रों ने कहा कि इस साल 21 जुलाई के वर्चुअल मंच से इसकी की शुरुआत हो सकती है. हालांकि अभिनेता से राजनेता बने और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा (Satrughan Sinha) इस आभासी मंच से ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं.

इसी तरह तमिलनाडु स्थित राजनीतिक दल मारुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (Marumalarchi Dravida Munnetra Kazhagam) के संस्थापक और महासचिव वाइको उर्फ वैयापुरी गोपालस्वामी (Vaiyapuri Gopalswamy) भी आभासी मंच पर मौजूद हो सकते हैं.

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गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद अभिषेक बंदोपाध्याय ने कहा कि 2024 में तृणमूल की रणनीति सिर्फ बंगाल तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह पूरे देश में 543 लोकसभा क्षेत्रों ( Lok Sabha constituencies) में व्यापक होगी.

तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्होने ने उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों के लिए पहले से ही अपना आधार तैयार कर लिया है. मुकुल रॉय और राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओब्रायन (Derek Obrien) इस प्रयास में उनका समर्थन कर रहे हैं.

इस बीच सिन्हा के तृणमूल में शामिल होने और वर्चुअल मंच पर वाइको की उपस्थिति से तृणमूल की राष्ट्रीय विस्तार योजनाओं को एक आगे बढ़ने की उम्मीद है, जैसा कि राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने महसूस किया है.

राजनीतिक हलकों को लगता है कि हालांकि वाइको फिलहाल तमिलनाडु में थोड़ा पीछे हैं, लेकिन तृणमूल के साथ आना से वह एक बार फिर चर्चा में आ सकते हैं.

इसी तरह सिन्हा के शामिल होने से तृणमूल नेतृत्व को बिहार और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हिंदी भाषी बेल्ट राज्यों में नेटवर्किंग का विस्तार करने में मदद मिलेगी. तृणमूल नेताओं ने माना कि इस राष्ट्रीय नेटवर्किंग में पीके की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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