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त्रिपुरा में I-PAC की टीम के सदस्यों को मिली जमानत, टीएमसी ने बीजेपी पर साधा निशाना

आई-पैक के 23 सदस्यों के कोर्ट में गुरुवार को आत्म समर्पण करने के बाद उन्हें जमानत मिल गई. इस घटना को लेकर एक बार फिर से भाजपा और टीमएसी आमने-सामने आ गई है.

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Published : Jul 29, 2021, 10:48 PM IST

अगरतला: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की संस्था आई-पैक (I-PAC) के 23 सदस्यों ने गुरुवार को त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत में समर्पण कर दिया और कोर्ट से सभी को जमानत (Bail) मिल गई. त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और आई-पैक के उक्त सदस्यों को कथित तौर पर अवैध हिरासत में रखे जाने पर तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की आलोचना की थी.

'इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी' (आई-पैक) की टीम तृणमूल कांग्रेस के लिए संभावित जनाधार और राजनीतिक स्थिति की समीक्षा के लिए त्रिपुरा में है. पुलिस ने कथित तौर पर कोविड नियमों (Corona) का उल्लंघन करने के लिए उन्हें रविवार रात को एक होटल में हिरासत में रखा था.

राज्य में पहुंचे तृणमूल नेता और सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का हाथ है. कहा कि पार्टी द्वारा काम पर रखे गए आई-पैक के सदस्य यहां पेशेवर कार्य से आए थे. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर त्रिपुरा पुलिस ने उन्हें हिरासत में रखा. संसद का सत्र चलने के बावजूद तृणमूल नेतृत्व ने पार्टी के कुछ सांसदों को दिल्ली से अगरतला आने को कहा है. तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार यहां गुरुवार को पहुंचे, जबकि पार्टी महासचिव और लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी शुक्रवार को त्रिपुरा पहुंचेंगे.

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एस बी दास ने आई-पैक की टीम के सदस्यों को जमानत दे दी. मंगलवार को उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें एक अगस्त को पुलिस के सामने तलब किया गया था. इससे पहले पुलिस ने कहा था कि आई-पैक के सदस्यों को तब तक होटल में रहना होगा, जब तक उनकी कोविड-19 रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो जाती.

नहीं हुई कोरोना की पुष्टि

मंगलवार रात को जांच रिपोर्ट में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई. उनके वकील पीयूष कांति बिस्वास ने कहा कि टीम के सदस्यों को परेशान करने के लिए राज्य सरकार के विरुद्ध एक मामला दर्ज किया जाएगा. बिस्वास ने कहा कि आई-पैक टीम के सदस्य राज्य में कोविड का निगेटिव प्रमाण पत्र लेकर आए थे. लेकिन उन्हें प्राथमिकी दर्ज करने से पहले हिरासत में रखा गया. यह उन्हें परेशान करने वाला कृत्य है.

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अतिरिक्त लोक अभियोजक विद्युत सूत्रधार ने कहा कि टीम के विरुद्ध सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, सदर द्वारा एक शिकायत दर्ज कराई गई थी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत ईस्ट अगरतला पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया.

सूत्रधार ने संवाददाताओं से कहा कि जांच अधिकारी ने उन्हें एक अगस्त को पेश होने का नोटिस दिया. उन्हें गिरफ्तार करने के कोई इरादा नहीं था. लेकिन फिर भी उन्होंने अदालत के सामने समर्पण किया, जमानत की याचिका दायर की और अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.'

23 लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव

सब डिविजनल पुलिस अधिकारी रमेश यादव ने कहा कि जैसे ही 23 लोगों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई, उन्हें मंगलवार रात को ही छोड़ दिया गया. पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्हें हिरासत में नहीं रखा गया था बल्कि होटल में ही रहने को कहा गया था, जब एक कि जांच रिपोर्ट न आ जाए. जांच रिपोर्ट आने के बाद उनमें से कुछ लोग बुधवार को होटल के बाहर गए थे.

(पीटीआई-भाषा)

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