नई दिल्ली :तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन (Derek O'Brien) ने गुरुवार को संसद के मानसून सत्र की संचालन प्रक्रिया को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला. टीएमसी ने कहा कि ओबीसी विधेयक जैसी महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कहां थे. उन्हें हमारी बात सुनने के लिए समय क्यों नहीं मिला.
टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, 'प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कहां थे? उन्हें हमें सुनने के लिए संसद में आने के लिए एक या दो मिनट का समय क्यों नहीं मिला? दो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एच.डी. देवेगौड़ा उपस्थित थे. उन्होंने सक्रिय रूप से इसमें भाग लिया.'
सुनिए टीएमसी सांसद ने क्या कहा उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष आंतरिक सुरक्षा पर बहस चाहता है, हमारी पहले दिन से यही मांग थी. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री संसद से क्यों भागे? वे संसद का सामना नहीं करना चाहते हैं.
डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा में बिना किसी बहस के कुल 39 बिल पास हुए. उन्होंने सवाल किया, 'ऐसे एक लोकतांत्रिक देश काम नहीं करता है. एक विधेयक को पारित करने का औसत समय 10 मिनट था और फिर आप कहते हैं कि विपक्ष सत्र को विचलित कर रहा है?'
'आपातकालीन कानून को सामान्य मान रही भाजपा'
टीएमसी सांसद ने कहा कि 2014 में भी 60-70% बिल समीक्षा के लिए एक संसदीय समिति के पास भेजे गए थे. हालांकि अब सिर्फ 11 फीसदी बिल ही जांच के लिए कमेटी के पास भेजे जाते हैं. उन्होंने आरोप लगाया, 'हमारी आजादी के बाद से पहले तीस वर्षों में हर 10 बिल के लिए केवल एक अध्यादेश का इस्तेमाल किया गया था. अब हर 10 बिल के लिए लगभग चार अध्यादेशों का इस्तेमाल किया जाता है. भाजपा सरकार आपातकालीन कानून को एक सामान्य कानून मान रही है.'
उन्होंने कहा कि हमने संसद को क्यों बाधित किया यह सवाल पूछने के बजाय सरकार को खुद जवाब देना चाहिए. 2016-17 से 2021 तक अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी विधेयक के लिए संसद में नहीं आएंगे तो सवालों के जवाब कैसे दिए जाएंगे? पिछले चार या पांच वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री ने फ्लोर पर एक भी सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह ने चार-पांच साल में 21 सवालों के जवाब दिए.
पढ़ें- संसद में किसने तोड़ी मर्यादा, सामने आया धक्का-मुक्की का वीडियो
सांसद ने आगे सवाल किया कि भाजपा का दावा है कि लोकसभा में उसके पास भारी बहुमत है लेकिन दो साल हो गए हैं, उपाध्यक्ष कहां हैं, अभी तक किसी की नियुक्ति क्यों नहीं की गई?