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Independence Day 2023: रेडियो पर आजादी की घोषणा सुनी.. रात के 12 बजे फहराया तिरंगा, पूर्णिया के झंडा चौक की रोचक है कहानी

बिहार के पूर्णिया जिले के ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडारोहण की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. देश के वाघा बॉर्डर और बिहार के पूर्णिया में 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि को 12 बजकर 01 मिनट पर ही आजादी का जश्न मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है. क्या है इसके पीछे का इतिहास जानें..

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Published : Aug 14, 2023, 1:28 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 7:44 PM IST

tricolor hoisted at midnight at purnea
tricolor hoisted at midnight at purnea

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पूर्णिया:77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जहां पूरा देश 15 अगस्त की सुबह का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, वहीं बिहार के पूर्णिया जिले के लोग वर्षों पुरानी परंपरा का पालन करते हुए 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को ठीक 12:01 बजे तिरंगा फहराएंगे. राष्ट्रगान की गूंज के बीच ऐतिहासिक झंडा चौक स्थल पर एक बार फिर से स्वर्णिम इतिहास को दोहराया जाएगा.

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पूर्णिया में आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा:वाघा बॉर्डर पर मध्यरात्रि में होने वाले झंडोत्तोलन के बारे में कौन नहीं जानता? पर यह बात बहुत ही कम लोगों को पता है कि वाघा बॉर्डर के अलावा देश में एक और जगह है जहां सन 1947, 15 अगस्त की मध्यरात्रि,12 बजकर 1 मिनट पर झंडोतोलन हुआ था और ये सिलसिला तभी से आज तक चलता आ रहा है. पूर्णिया जिले के ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडारोहण की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी है. वाघा बॉर्डर और पूर्णिया में 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि 12 बजकर 01 मिनट पर ही देश की आजादी का जश्न मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है.

"जैसे ही देश की आजादी की घोषणा रेडियो पर हुई वैसे ही कुछ स्वतंत्रता सेनानी तुरंत एक दुकान से तिरंगा ले आए और चौक पर फहरा दिया. महिलाएं शंख फूंकते हुए यहां पहुंच गईं. तब से यह परंपरा कायम है. वाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया के झंडा चौक पर आधी रात को ही आजादी का जश्न मनाया जाता है."- दिलीप कुमार दीपक, स्थानीय

पूर्णिया में आधी रात को फहराया जाता है तिरंगा

हमें बहुत गर्व महसूस होता है. रात को हम झंडोत्तोलन में शामिल होते हैं. बच्चों को भी लेकर आते हैं. बहुत अच्छा अनुभव होता है.- जवाहर सिंह, स्थानीय

वर्षों पुरानी परंपरा का कारण:15 अगस्त 1947 की रात ठीक 12:00 बजे जैसे ही रेडियो पर लॉर्ड माउंटबेटन की भारत को स्वतंत्र गणराज बनाए जाने की घोषणा हुई, सहयोग दांडी और जेल भरो जैसे आंदोलन में जिला से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और सती नाथ भादुरी जैसे आजादी के दीवाने इतने उत्साहित हो गए कि बगैर किसी देरी के, बाजार में स्थित एक दुकान से तिरंगा झंडा खरीदा और ठीक 12:01 बजे पर झंडा फहरा दिया. तभी से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा. तब से लेकर आज तक जिलावासी उसी परंपरा को निभाते आ रहे हैं.

पूजा का दिन मानते हैं लोग: वहीं स्वतंत्रता सेनानी के वंशज विपुल का कहना है कि मेरे दादाजी ने आधी रात को झंडा फहराया था. हम इसे धर्म की तरह, पूजा की तरह मनाते हैं. 14 और 15 अगस्त के बीच में मध्यरात्रि को हम झंडा चौक पर झंडा फहराते हैं. बता दें कि कुछ सोशल एक्टिविस्ट इसे राजकीय समारोह का दर्जा देने की मांग लंबेसमय से उठा रहे हैं. इसको लेकर समाज सेवकों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को आवेदन भी दिया था.

ऐतिहासिक झंडा चौक

"पूर्णिया के इस ऐतिहासिक परंपरा में शामिल होने के लिए बाहर बाहर से भी लोग आते हैं. बहुत अच्छा लगता है. हम झंडा फहराने का कार्यक्रम पूजा की तरह करते हैं."- विपुल, स्वतंत्रता सेनानी के वंशज

14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को झंडा तोलन: 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि ठीक 12:01 पर पूर्णिया के लोग झंडा फहराते हैं और मानो यह एक परंपरा बन गई है, जिसमें हर साल 15 अगस्त मध्यरात्रि 12:01 पर शहर के झंडा चौक पर लोगों का जमावड़ा लग जाता है और लोग देश की आजादी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. हर साल 14-15 अगस्त के मध्यरात्रि को 10:00 बजे से ही लोग झंडा चौक पर जुटने लगते हैं. रंगीले झालरों और देशभक्ति के गीत के बीच यह ऐतिहासिक स्थल खुशी से झूम उठता है. ठीक 12:01 पर सभी तिरंगा फहराते हैं. एक दूसरे को आजादी की असंख्य शुभकामनाएं देते हैं और चारों तरफ मिठाई भी बांटी जाती है.

Last Updated : Aug 14, 2023, 7:44 PM IST

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