वाराणसी:पूरा देश आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. भारत को स्वतंत्र हुए 76 वर्ष हो चुके हैंऔर देश अपने आजादी का 77 वां साल कल सेलिब्रेट करेगा. इस दौरान आजादी से जुड़ी बहुत सी कहानी आपको सुनने को मिलेंगी, लेकिन हम धर्मनगरी वाराणसी से आपको आजादी की वह कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसमें लोगों का मुंह मीठा कराते कराते आजादी की लड़ाई को इस कदर आगे बढ़ाया की अंग्रेजों के दांत इन मिठाइयों ने खट्टे कर दिए.
दरअसल, वाराणसी का ठठेरी बाजार शहर का पुराना इलाका है. चौक से बिल्कुल नजदीक इस इलाके में संकरी गलियों के अंदर छोटी-छोटी दुकानों से लाखों करोड़ों के बड़े-बड़े कारोबार होते हैं. इन्हीं दुकानों के बीच में एक लगभग डेढ़ सौ वर्ष से भी ज्यादा पुरानी मिठाई की दुकान है. इसका नाम है राम भंडार. इस मिठाई की दुकान की स्थापना रघुनाथ दास गुप्ता ने की थी. बाद में इस दुकान को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इस कदर उपयोग किया गया कि अंग्रेजों ने भी इस दुकान के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी.
जब मिठाई ने किया था अंग्रेजों को चैलेंज: 1939 के दौर में जब अंग्रेजी हुकूमत आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों को कुचलने के लिए हर प्रयास कर रही थी, उस वक्त इसी मिठाई की दुकान में रघुनाथ दास गुप्ता और उनके बेटे ने मिलकर ऐसी मिठाईयां तैयार की जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को तो चैलेंज किया है साथ ही साथ लोगों के अंदर देशभक्ति का जज्बा भी जगाए रखा. इस वक्त इस परिवार की पांचवी पीढ़ी के वरुण गुप्ता बताते हैं कि उनके ग्रेट ग्रैंडफादर रघुनाथ दास गुप्ता शहर के मानिंद और मशहूर क्रांतिकारियों में गिने जाते थे. उस वक्त जब अंग्रेजी हुकूमत ने भारत के झंडे को फहराने पर प्रतिबंध लगाया तो उनके दादा और परदादा ने मिलकर उस वक्त के महान क्रांतिकारियों के नामों पर आधारित और तिरंगे के रंग वाली मिठाई तैयार की.