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आजादी के इतने सालों बाद भी यहां पर आदिवासी महिला पंचायत अध्यक्ष को नहीं थी झंडा फहराने की इजाजत - amrita mahotsava of 75yr

तमिलनाडु के कई इलाकों में आदिवासी समुदाय की महिला पंचायत प्रमुख को राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी. इस खबर के सामने आने के बाद सरकार हरकत में आई और उन्हें झंडा फहराने की अनुमति दी गई. तमिलनाडु के मुख्य सचिव वी इराई अंबू ने सभी जिला कलेक्टरों को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय जातिगत भेदभाव को रोकने का आदेश दिया.

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Published : Aug 14, 2022, 3:59 PM IST

चेन्नई : तमिलनाडु में इरुला आदिवासी महिला सरस्वती विजयन, जो कृष्णागिरी जिले के वेलुक्कट्टई पंचायत की अध्यक्ष हैं, दो साल पहले पद संभालने के बाद पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगी. तमिलनाडु अस्पृश्यता उन्मूलन मोर्चा (टीएनयूईएफ) ने राज्य के 24 जिलों में हाल ही में एक सर्वे किया और पाया कि दलित समुदाय के कई पंचायत अध्यक्षों को राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं थी और कई को कार्यालय में बैठने की भी अनुमति नहीं थी.

मीडिया द्वारा सर्वे रिपोर्ट को बड़े पैमाने पर प्रसारित किए जाने के बाद, तमिलनाडु के मुख्य सचिव वी. इराई अंबू ने सभी जिला कलेक्टरों को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय जातिगत भेदभाव को रोकने का आदेश दिया.

जनवरी 2020 में वेलुक्कट्टई पंचायत की अध्यक्ष बनीं सरस्वती विजयन को पंचायत परिसर में झंडा फहराने की इजाजत नहीं दी गई थी. 2020 में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान, उन्हें पंचायत कार्यालय के बजाय पंचायत संघ मध्य विद्यालय में झंडा फहराना पड़ा.

यह खबर सामने आने के बाद गुरुवार को वेलुक्कट्टई पंचायत सचिव और बीडीओ ने मौके पर जाकर राष्ट्रपति के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए पंचायत परिसर में एक खंभा खड़ा कर दिया. जबकि तमिलनाडु के द्रविड़ राजनीतिक दल पेरियार की विचारधारा को मानते रहे हैं.

तमिलनाडु में कई दलित परिवारों के साथ स्पष्ट सीमांकन और भेदभाव हो रहा है. अक्टूबर 2021 में, दक्षिण तमिलनाडु में दलितों और उच्च जातियों के बीच हुए संघर्ष में कई लोगों की हत्या हुई थी.

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