रायपुर : यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी एक देश एक कानून है. फिलहाल हमारे देश में अलग अलग धर्मों के अपने अपने कानून हैं. हिंदुओं के लिए हिंदू पर्सनल लॉ, मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ. UCC का उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों को खत्म कर एक सामान्य कानून लाना है. ऐसे में देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस छिड़ी है. कई वर्ग इस कानून का समर्थन कर रहे हैं. वहीं कुछ समुदाय इस कानून को लेकर असमंजस में हैं. आदिवासी समाज का मानना है कि यूसीसी के कारण जो अधिकार संविधान ने आदिवासियों को दिए हैं, वो प्रभावित होंगे.
क्या है आदिवासियों को डर:आदिवासी समुदाय अपने जन्म, विवाह, तलाक, विभाजन, उत्तराधिकारी, विरासत, जमीन और संपत्ति के मामले प्रथागत रूढ़ि विधि से संचालित करते हैं. यही आदिवासी समुदायों की पहचान है. यही रीति रिवाज और परंपराएं आदिवासियों को दूसरे जाति और धर्म से अलग बनाती है. आदिवासियों के प्रस्तावित कानून को संविधान के तहत अनुच्छेद 13( 3)( क ) कानून का बल दिया गया है. संविधान में आदिवासियों के लिए बहुत सारे अधिनियम प्रावधान एक अनुसूची पांचवी एवं छठवीं, पेसा एक्ट सहित बहुत सारे अधिकार दिए गए हैं. आदिवासी समाज में संशय है कि समान नागरिक संहिता का कानून आने से सदियों से चली आ रही उनकी यह परंपरा खत्म हो जाएगी.
''आदिवासी समाज की अपनी अपनी परंपरा है, जिसे संविधान में मान्यता दी गई है. यूसीसी को लेकर लॉ कमीशन ने जो नोटिफिकेशन जारी किया, यह आदिवासी समाज के संशय का विषय है कि ये कैसे बनके आएगा. रुढ़िगत परम्पराओं को संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है. यह नया आने वाला यूसीसी हमारे अधिकार के लिए बात कर रहा है या संबंधों को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है. हमें डर है कि हमारी आइडेंटिटी खो जाएगी, हमारा अस्तित्व भी खत्म हो सकता है.'' विनोद नागवंशी, गोंडवाना समाज
क्यों आदिवासी समुदाय यूसीसी के विरोध में है:आदिवासी समाज को यूसीसी की वजह से कई प्रथाओं के खत्म होने का डर है. जिसमें शादी से जुड़ी प्रथा को लेकर ज्यादा खतरा है. छत्तीसगढ़, असम, बिहार और ओडिशा में कई एसटी वर्ग ऐसे हैं, जो परंपरागत कानूनों का पालन करते हैं. उसी तरह मेघालय की जनजातियों में मातृसत्तात्मक सिस्टम चलता आ रहा है. यहां संपत्ति परिवार की सबसे छोटी बेटी को विरासत में मिलती है. गारो समाज का पुरुष अगर खासी समाज की लड़की से शादी करता है तो उसे लड़की के घर पर ही जाकर रहना होता है. जबकि नागा जनजातियों में ऐसा नहीं है. महिलाओं को संपत्ति विरासत में देने या जनजाति के बाहर शादी करने पर रोक है.