कांकेर:नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीलपरस गांव में 17 दिसंबर को नया बीएसएफ कैंप खुला (New BSF camp opened in Chilparas village) है. ग्रामीण एक जगह इकट्ठा होकर इस कैंप का विरोध कर रहे (Tribal protests against BSF camp in Kanker ) हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ''बीएसएफ कैंप चोरी चोरी रात के अंधेरे में चीलपरस गांव में खोला गया है. 16 दिसंबर की आधी रात से यहां पर जवानों की अलग अलग टुकड़ी भेजी गई. रात में दो पोकलेन मशीन लगाकर रास्ता बनाया गया. बिस्तर बंद वाहनों, स्वचालित शौचालय, ट्रकों में रसद खाद्य सामग्री, पानी टैंकर और कैम्प का पूरा साजो सामान उजाला होने से पहले गांव में पहुंचा दिया गया. पिछले 5 दिनों से कैंप के विरोध में बैठे हुए हैं, जब तक कैम्प नहीं हटेगा विरोध प्रदर्शन में बैठे रहेंगे.''
ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेने का आरोप: चीलपरस गांव की सरपंच संगीता का कहना है कि '' हमारे गांव में यह कैंप बिना अनुमति के खोला गया है. ग्राम सभा से भी पूछा नहीं गया है. मुझे भी सूचना नहीं दी गई, इसीलिए हम कैंप के विरोध में अड़े हुए हैं. सड़क बनाने की बात कहते हैं लेकिन सड़क हमारे लिए नहीं कैम्प वाले अपने लिए सड़क बनवाएंगे. हमको सिर्फ धूल मिलेगी.'' विरोध प्रदर्शन स्थल में बैठे कोयलीबेड़ा जनपद सदस्य दिलीप बघेल ने बताया कि ''कोयलीबेड़ा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र (Koylibeda tribal dominated area) है, इसीलिए इस क्षेत्र में पेसा एक्ट (pesa act) लागू है. ऐसे में जब तक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित नहीं होगा, तब तक वह कार्य गांव में नहीं किया जाता. लेकिन बिना किसी सूचना प्रस्ताव के चुपचाप कैम्प खोल दिया गया है.
शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा चाहिए, कैंप नहीं चाहिए: कोयलीबेड़ा जनपद सदस्य दिलीप बघेल का कहना है कि ''यह क्षेत्र अंदरुनी होने के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा में अब भी पिछड़ा हुआ है. शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा के लिए हमने कई बार कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में आंदोलन किया है. यहां शिक्षकों की बहुत कमी है. एक स्कूल में कक्षा 1 से पांचवीं तक कक्षा लगती है लेकिन एक ही शिक्षक है. ऐसे में शिक्षक किस क्लास के बच्चे को पढ़ाएंगे. हमें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा चाहिए, कैंप नहीं चाहिए.'' Camp in Naxalite affected area