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कांकेर में बीएसएफ कैंप का विरोध, 18 ग्राम पंचायत के ग्रामीणों का अनिश्चितकालीन आंदोलन

कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा क्षेत्र के पानीडोबीर ग्राम पंचायत के आश्रित गांव चीलपरस में 30वीं वाहिनी बीएसएफ का नया कैंप खोला गया है. स्थानीय ग्रामीण कैंप खुलने का विरोध Tribal protests against BSF camp in Kanker कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सभा Gram Sabha की अनुमति लिए बिना ही यह कैंप खोल दिया गया है. गांव की सरपंच को भी कोई सूचना नहीं दी गई. वहीं कांकेर एसपी शलभ सिन्हा Kanker SP Shalabh Sinha का कहना है कि नक्सलियों के दबाव की वजह से ग्रामीण कैंप का विरोध कर रहे हैं.

Tribal protests against BSF camp in Kanker
कांकेर में बीएसएफ कैंप का विरोध

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Published : Dec 22, 2022, 4:01 PM IST

कांकेर:नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीलपरस गांव में 17 दिसंबर को नया बीएसएफ कैंप खुला (New BSF camp opened in Chilparas village) है. ग्रामीण एक जगह इकट्ठा होकर इस कैंप का विरोध कर रहे (Tribal protests against BSF camp in Kanker ) हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ''बीएसएफ कैंप चोरी चोरी रात के अंधेरे में चीलपरस गांव में खोला गया है. 16 दिसंबर की आधी रात से यहां पर जवानों की अलग अलग टुकड़ी भेजी गई. रात में दो पोकलेन मशीन लगाकर रास्ता बनाया गया. बिस्तर बंद वाहनों, स्वचालित शौचालय, ट्रकों में रसद खाद्य सामग्री, पानी टैंकर और कैम्प का पूरा साजो सामान उजाला होने से पहले गांव में पहुंचा दिया गया. पिछले 5 दिनों से कैंप के विरोध में बैठे हुए हैं, जब तक कैम्प नहीं हटेगा विरोध प्रदर्शन में बैठे रहेंगे.''

कांकेर में बीएसएफ कैंप का विरोध

ग्राम सभा की अनुमति नहीं लेने का आरोप: चीलपरस गांव की सरपंच संगीता का कहना है कि '' हमारे गांव में यह कैंप बिना अनुमति के खोला गया है. ग्राम सभा से भी पूछा नहीं गया है. मुझे भी सूचना नहीं दी गई, इसीलिए हम कैंप के विरोध में अड़े हुए हैं. सड़क बनाने की बात कहते हैं लेकिन सड़क हमारे लिए नहीं कैम्प वाले अपने लिए सड़क बनवाएंगे. हमको सिर्फ धूल मिलेगी.'' विरोध प्रदर्शन स्थल में बैठे कोयलीबेड़ा जनपद सदस्य दिलीप बघेल ने बताया कि ''कोयलीबेड़ा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र (Koylibeda tribal dominated area) है, इसीलिए इस क्षेत्र में पेसा एक्ट (pesa act) लागू है. ऐसे में जब तक ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित नहीं होगा, तब तक वह कार्य गांव में नहीं किया जाता. लेकिन बिना किसी सूचना प्रस्ताव के चुपचाप कैम्प खोल दिया गया है.

शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा चाहिए, कैंप नहीं चाहिए: कोयलीबेड़ा जनपद सदस्य दिलीप बघेल का कहना है कि ''यह क्षेत्र अंदरुनी होने के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा में अब भी पिछड़ा हुआ है. शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा के लिए हमने कई बार कोयलीबेड़ा ब्लॉक मुख्यालय में आंदोलन किया है. यहां शिक्षकों की बहुत कमी है. एक स्कूल में कक्षा 1 से पांचवीं तक कक्षा लगती है लेकिन एक ही शिक्षक है. ऐसे में शिक्षक किस क्लास के बच्चे को पढ़ाएंगे. हमें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा चाहिए, कैंप नहीं चाहिए.'' Camp in Naxalite affected area

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क्या कहती है पुलिस:कांकेर एसपी शलभ सिन्हा (Kanker SP Shalabh Sinha) के मुताबिक ''कुछ ग्रामीणों से बातचीत हुई तो वो वहां कैंप चाह रहे हैं लेकिन नक्सली दबाव की वजह से ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. फिलहाल एक जगह इकट्ठा होकर ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों को पता है कि कैंप की वजह से विकास कार्य होंगे. ग्रामीण अंदर से खुश हैं. मुझे नहीं लगता कि वे लंबे समय तक विरोध करेंगे. हम भी कैंप का काम आराम से कर रहे हैं.''

कांकेर एसपी शलभ सिन्हा

संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाके में कैंप सेटअप चैलेंजिंग:कांकेर एसपी शलभ सिन्हा ने बताया कि ''चीलपरस गांव में हमने नया कैंप खोला है, जिसमें बीएसएफ, डीआरजी की टीम है. यह कांकेर का संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाका है. वहां कैंप का सेटअप काफी चैलेंजिंग रहा है. हमारे पास पर्याप्त फोर्स थी. जगह का चुनाव कर हमने एरिया डॉमिनेशन area domination कर सुरक्षात्मक दृष्टि से कैंप खोला है.''

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