नई दिल्ली : एक आधिकारिक बयान में पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि इस आशय के एक संयुक्त संवाद पर मंगलवार को इंदिरा पर्यावरण भवन में हस्ताक्षर किया जाना है. यह अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006, जिसे आम तौर पर वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तौर पर जाना जाता है, के प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित है.
अधिनियम वन में रहने वाली ऐसी अनुसूचित जनजातियों (एफडीएसटी) और अन्य परंपरागत वन वासियों (ओटीएफडी) के वन अधिकारों और वन भूमि पर कब्जे को मान्यता देता है. जो पीढ़ियों से जंगलों में रह रहे हैं. लेकिन जिनके अधिकारों को दर्ज नहीं किया जा सकता है और इसके साथ ही यह एक ऐसी रूपरेखा प्रदान करता है.
जिसके तहत इस प्रकार निहित वन अधिकारों को दर्ज किया जा सके. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि हस्ताक्षर समारोह में पर्यावरण एवं वन सचिव रामेश्वर प्रसाद गुप्ता, जनजाति मामलों के सचिव अनिल कुमार झा और सभी राज्यों के राजस्व सचिव मौजूद रहेंगे.