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झारखंड के इस इलाके में पुलिया के साथ होती है बच्चों की शादी, जानिए क्यों

झारखंड के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसी ही एक अनोखी मान्यता पूर्वी सिंहभूम जिले के आदिवासी समाज में है. इस समाज में बच्चों को आने वाले संकट से बचाने के लिए पुलिया या फिर पेड़ से शादी कराई जाती है, वो भी बहुत ही धूमधाम से.

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शादी के लिए ले जाते हुए

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Published : Jan 17, 2023, 10:50 PM IST

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जमशेदपुरः झारखंड और झारखंड से सटे ओडिशा और बंगाल के रहने वाले आदिवासी समाज के लोग आज भी अपनी परंपरा को नहीं भूले हैं. परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं. इसी परंपरा के तहत समाज में जन्मे बच्चे की शादी एक पुलिया या फिर पेड़ से कराई जाती है. शादी वैसे बच्चों की कराई जाती है, जिनके उपरी जबड़े में पहला दांत निकलता है. शादी पूरे सामाजिक रीति-रिवाज के साथ की जाती है. यह शादी मकर संक्रांति के दूसरे दिन आदिवासी के आखान्न जात्रा के दिन की जाती है

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क्या है मान्यताःजानकारी के मुताबिक आदिवासी समुदाय के लोगों का मानना है कि ऐसे बच्चे जिनके जन्म के समय ऊपरी जबड़े में पहला दांत रहता है, वो आगे चलकर संकट का सामना करते हैं. आदिवासी समाज के लोग इसे अशुभ मानते हैं. उनका कहना है कि ऐसे बच्चे जब बड़े होते हैं और उनकी शादी होती है तो वो या उसकी पत्नी की आकस्मिक मौत हो जाती है. इसलिए वैसे बच्चों की पांच वर्ष उम्र पूरी होने के पहले शादी पुलिया या पेड़ से शादी करा दी जाती है. ताकि उसका सारा ग्रह कट सके.


बच्चे के परिजन क्या कहते हैःपूर्वी सिहभूम जिला के पोटका के रहने वाले वृद्धा महिला सारी सिंह सरदार ने बताया कि उनके पोते का जन्म के समय उसके ऊपरी जबड़े में पहला दांत हो गया है. उसे हमारे समाज में लोग अशुभ मानते हैं. इस कारण उसकी शादी हम पुलिया के साथ करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारी परंपरा है उसका निर्वाहन कर रहे हैं.

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