देहरादून :आयुर्वेद और एलोपैथिक के बीच चल रहा विवादथमने का नाम नहीं ले रहा है. बाबा रामदेव और डॉक्टरों के बीच बयानबाजी का दौर लगातार जारी है. योग गुरु स्वामी रामदेव आयुर्वेद को लेकर भले ही लाख दावे कर रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी कर्मभूमि में भी लोगों के लिए आयुर्वेद का इलाज इतना आसान नहीं है.
एकमात्र पतंजलि योगपीठ में आयुर्वेदिक हॉस्पिटल आम जनता की पहुंच से बाहर है. बाबा के यहां इलाज के दौरान रुकने के लिए 4 हजार से लेकर 6 हजार रुपये प्रतिदिन कमरे का किराया देना पड़ता है. उसके बाद इलाज का जो खर्च है वो अलग से जोड़ा जाता है.
बाबा रामदेव आयुर्वेदऔर योग को बढ़ावा देने के लिए 90 के दशक से ही प्रयासों में जुटे हुए हैं. वह शुरुआती दिनों में न सिर्फ लोगों को योग सिखाते थे, बल्कि घर पर ही च्यवनप्राश बनाकर घर-घर जाकर लोगों को बेचते थे. धीरे-धीरे बाबा रामदेव ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया. जिसके माध्यम से न सिर्फ लोगों को योग सिखाया बल्कि आयुर्वेद के माध्यम से लोगों का इलाज भी किया. धीरे-धीरे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों ने मिलकर पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना भी की.
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वर्तमान समय में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का हरिद्वार में एक बड़ा साम्राज्य है. यहां रोजाना हजारों लोगों का इलाज किया जाता है. बाबा रामदेव इस बात पर जोर देते रहे हैं कि आयुर्वेद पद्धति में हर बीमारी का इलाज है. उनका मानना है कि इमरजेंसी के दौरान तो एलोपैथी का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन अगर इमरजेंसी नहीं है तो आयुर्वेद पद्धति को अपनाना ज्यादा बेहतर है.
बाबा रामदेव इस बात का दावा कर रहे हैं कि आयुर्वेद पद्धति में हर बीमारी का इलाज है, इस बात को नकार भी नहीं सकते हैं. मगर आजकल स्थिति यह है कि बहुत कम जगहों पर आयुर्वेद पद्धति से इजाज किया जाता है.
एक दिन के कमरे का किराया 5-6 हजार रुपये
उत्तराखंड के हरिद्वार में बाबा रामदेवका एक बड़ा साम्राज्य फैला है. जहां आयुर्वेद पद्धति के माध्यम से लोगों का इलाज किया जाता है, लेकिन किस तरह से आयुर्वेद पद्धति से हरिद्वार में इलाज कराया जा सकता है, यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं. जो लोग जानते हैं उनके सामने एक बड़ी समस्या यह है कि अगर वह पतंजलि योगपीठ में इलाज कराने जाते हैं तो उन्हें रोजाना 4 से 6 हजार रुपये सिर्फ एक कमरे के लिए भरने होते हैं. इसके अतिरिक्त जिस तरह की बीमारी होती है उसके अनुसार इलाज का खर्च अलग से होता है.