मुंबई: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि 'दरबार' शब्द आजादी से पहले के दौर में राजसी सत्ता से जुड़ा था, लेकिन इसकी आधुनिक अवधारणा पारदर्शिता को बढ़ावा देती है जो लोकतंत्र में सुशासन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. वह यहां राजभवन में नवनिर्मित दरबार हॉल का उद्घाटन करने के बाद एक सभा को संबोधित कर रहे थे. राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन की तरह मुंबई में राजभवन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का संवैधानिक प्रतीक बन गया है.
उन्होंने कहा, स्वतंत्रता से पहले दरबार शब्द राजसी सत्ता से जुड़ा था, जबकि वर्तमान समय में यह लोकतंत्र से जुड़ा है. दरबार की आधुनिक अवधारणा पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, जो किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुशासन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है. कोविंद ने कहा, दरबार में कुछ भी निजी या गुप्त नहीं होता है. सबकुछ जनता की नजरों में होता है, सभी को साथ लेकर. यहां तक कि निर्वाचित प्रतिनिधि भी लोगों से जुड़ने के लिए 'जनता दरबार' आयोजित कर रहे हैं. यह तरीका लोकप्रिय हो रहा है. इस संदर्भ में, नया दरबार हॉल नए भारत, नए महाराष्ट्र और हमारे जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है.
उन्होंने कहा कि यह धरोहर स्थल अंग्रेजों की विरासत हो सकता है, लेकिन इसका वर्तमान और भविष्य महाराष्ट्र तथा देश के बाकी हिस्सों के गौरव से जुड़ा है. राष्ट्रपति ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता और भूमि में निश्चित रूप से कुछ विशेष बात है जो उन्हें यहां बार-बार आने के लिए आकर्षित करती है. उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े चार साल में वह इस दौरे सहित 12 बार महाराष्ट्र आ चुके हैं. कोविंद ने कहा, महाराष्ट्र आध्यात्मिकता की भूमि होने के साथ-साथ अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने वाले वीरों की भूमि भी है. यह देशभक्तों की भूमि भी है और भगवान के भक्तों की भूमि भी है. महाराष्ट्र भारत का प्रमुख आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है.
उन्होंने कहा, यह राज्य प्रतिभा और प्राकृतिक सौंदर्य से संपन्न है. महाराष्ट्र के लोग अपने आतिथ्य-सत्कार के लिए जाने जाते हैं. ऐसी अनेक विशेषताओं के कारण न केवल मैं, बल्कि देश-विदेश के अनगिनत लोग भी बार-बार महाराष्ट्र आने के लिए आकर्षित होते रहे हैं, लेकिन इस यात्रा में उन्हें एक खालीपन का अनुभव हो रहा है. एक सप्ताह पहले हमने अपनी प्यारी लता दीदी को खो दिया है. उन जैसी महान प्रतिभा का जन्म सदी में एकाध बार ही होता है. लता जी का संगीत अमर है जो सभी संगीत प्रेमियों को सदैव मंत्रमुग्ध करता रहेगा. उनकी सादगी और सौम्य स्वभाव लोगों के मन-मस्तिष्क पर हमेशा अंकित रहेगा.