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जम्मू-कश्मीर : लॉकडाउन से ट्रांसजेंडर समुदाय की आजीविका प्रभावित

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Published : Jun 8, 2021, 12:51 PM IST

अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के संशोधन के बाद लगाए गए प्रतिबंधों और 2020 में लगाए गए परिणामी लॉकडाउन की सूबे में ट्रांसजेंडर समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ हैं. हाल ही में, ट्रांसजेंडरों के एक समूह ने श्रीनगर में सरकार के खिलाफ उनको नज़रअंदाज़ करने के लिए विरोध भी प्रदर्शन किया.

Transgender community
ट्रांसजेंडर समुदाय

श्रीनगर : अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के संशोधन के बाद लगाए गए प्रतिबंधों और लॉकडाउन की वजह से केंद्र शासित प्रदेश में समाज का हर वर्ग प्रभावित हुआ है. लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले जो लोग हैं वो हैं ट्रांसजेंडर समुदाय. अप्रैल और मई में देश में फैली कोविड की दूसरी लहर ने इस समुदाय के हालात और बदतर कर दिए हैं.

हालांकि कश्मीरी में ट्रांसजेंडर समुदाय लोगों से पैसे मांगने या सड़कों पर भीख मागने के बजाय, शादी-ब्याह या खुशियों में नाच-गाकर अपना जीवन यापन करता है, लेकिन पिछले दो वर्षों ने उनकी आजीविका को बेहद प्रभावित किया है. वे दिन में दो वक्त की रोटी के लिए भी दूसरों पर निर्भर हो गए हैं.

उनके चेहरे की चमक, मेकअप की परतें और सुंदर सी हंसी आमतौर पर उनके जीवन की असल वास्तविकता को छुपा देती हैं. लेकिन अब उनकी आजीविका के साधन हर गुजरते दिन के साथ कम होते जा रहे हैं. एक अच्छे जीवन की उनकी सभी उम्मीदें धूमिल होती जा रही हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय के एक व्यक्ति ने कहा कि अभी तक किसी भी सरकार ने उनके या उनके अधिकारों के लिए कुछ नहीं किया है और अगर किसी भी समय कोई चिंता जताई गई तो वह सिर्फ घोषणाओं और दस्तावेजों तक ही सीमित रह गई. उन्होंने कहा कि मौजूदा कोरोना वायरस की स्थिति के दौरान भी उन्हें भुला दिया गया.

ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण के लिए काम करने वाले एक गैर-सरकारी संगठन सोंजेल (Sonzel) के प्रमुख डॉ ऐजाज अहमद बंध ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि ट्रांसजेंडरों को अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि वे किस तरह की कठिनाइयों से वे गुजरते हैं. उन्होंने कहा कि 2019 में 5 अगस्त यानि की धारा 370 हटने के बाद और फिर कोविड की वजह से लगे लॉकडाउन ने उनके लिए इस स्थिति को और कठिन बना दिया है.

हाल ही में, ट्रांसजेंडरों के एक समूह ने श्रीनगर में सरकार के खिलाफ उनको नज़रअंदाज़ करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया. अपनी दुर्दशा व्यक्त करते हुए, उन्होंने सरकार से उनकी समस्याओं का समाधान करने की अपील की, ताकि वे अपने घरों में दो वक्त का खाना खा सकें.

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भले ही सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में फैसला सुनाया ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रूप में पहचाना जाए, लेकिन उन्हें जम्मू और कश्मीर में अभी तक वह मान्यता नहीं मिली है.

2011 की जनगणना के अनुसार, ट्रांसजेंडर समुदाय में लगभग 4000 सदस्य थे, नई जनगणना में इनकी संख्या अभी और बढ़ सकती है.

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