नई दिल्ली:नैनो उर्वरक (Nano fertilizer) भारत के कृषि क्षेत्र में गेम चेंजर साबित हो सकता है. एक संसदीय समिति ने रासायनिक और उर्वरक पर अपनी रिपोर्ट सौंपी है, इसमें सरकार को अपनी उत्पादन क्षमता को अधिकतम करने के लिए अन्य उर्वरक सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों को नैनो तकनीक हस्तांतरित करने का सुझाव दिया है.
लोकसभा सांसद कनिमोझी करुणानिधि की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति (Palriamentary Committee) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा, 'उर्वरक विभाग सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा विभिन्न नैनो उर्वरकों के अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित कर सकता है और इस संबंध में वित्तीय सहायता पर विचार कर सकता है. विभाग नैनो उर्वरकों को किसानों के लिए बहुत सस्ता और आकर्षक बनाने के लिए सब्सिडी प्रदान करने पर भी विचार कर सकता है.'
'निजी कंपनियों को सशर्त अनुमति देनी चाहिए' :इसी संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्न देबरॉय (agriculture scientist Dr Swapan Debroy) ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि नैनो उर्वरक में गेम चेंजर बनने की क्षमता है. यह कृषि उत्पादन की लागत को कम करेगा क्योंकि नैनो उर्वरक की प्रभावकारिता अधिक है और इससे भारी मात्रा में बचत होगी. डॉ. देबरॉय ने कहा, 'बेशक, सरकार अपने आप में विशाल कृषि क्षेत्र की मांग को पूरा नहीं कर सकती है. मांग को पूरा करने के लिए सरकार को निजी कंपनियों को नैनो उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सशर्त अनुमति देनी चाहिए.'
एक नैनो यूरिया की बोतल 45 किलो के यूरिया बैग के बराबर होती है. नैनो यूरिया की बोतल की कीमत 240 रुपये प्रति 500 मिलीलीटर है जबकि पारंपरिक सब्सिडी वाले यूरिया की कीमत 266.5 रुपये प्रति 45 किलोग्राम है. शोधकर्ताओं के अनुसार, नैनो उर्वरक की प्रभावकारिता 80 प्रतिशत से अधिक है, जबकि पारंपरिक यूरिया की प्रभावकारिता केवल 30 प्रतिशत से 40 प्रतिशत है. नैनो यूरिया में भी पारंपरिक यूरिया को 50 प्रतिशत तक बदलने की क्षमता है.