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वैश्विक भूख को समाप्त करने में पारंपरिक कृषि तकनीक मददगार

विश्व में भूखमरी एक वैश्विक समस्या है, जिसके निदान हेतु वर्षों से प्रयास जारी है. संयुक्त राष्ट्र इस विषय को लेकर गंभीर हैं और लगातार इस समस्या के अंत को लेकर कार्य किए जा रहे हैं. यूएन का कहना है कि पारंपरिक कृषि तकनीक वैश्विक भूख की समस्या को हल कर सकती है.

कृषि तकनीक मददगार
कृषि तकनीक मददगार

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Published : May 22, 2021, 2:23 PM IST

हैदराबाद :विश्व में भूखमरी एक वैश्विक समस्या है. जिसके निदान हेतु वर्षों से प्रयास जारी है. संयुक्त राष्ट्र इस विषय को लेकर गंभीर हैं और लगातार इस समस्या के अंत को लेकर कार्य किए जा रहे हैं. भुखमरी एक वैश्विक चुनौती है. भारत में भुखमरी की स्थिति बेहत चिंताजनक है. भुखमरी से हमारा आशय भोजन की अनुपलब्धता से होता है. किंतु खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) प्रतिदिन 1800 किलो कैलोरी से कम ग्रहण करने वाले लोगों को भुखमरी का शिकार मानता है.

यूएन का कहना है कि पारंपरिक कृषि तकनीक वैश्विक भूख की समस्या को हल कर सकती है. बता दें कि हर दिन लगभग 700 मिलियन लोग भूखे रहते हैं. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि मोरक्को के पेड़ों से लेकर फिलीपींस के चावल के खेतों तक, हम स्थायी विरासत कृषि से बहुत कुछ सीख सकते हैं.

अध्ययन में कहा गया है कि अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो साल 2030 तक भुखमरी खत्म करने का लक्ष्य असंभव हो जाएगा. संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि साल 2030 तक दुनियाभर में करोड़ों लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं. भूख को खत्म करना संयुक्त राष्ट्र के 2030 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है, लेकिन 690 मिलियन लोग अभी भी भूखे रह रहे हैं, हमारी कृषि विरासत में हमें यह सिखाने के लिए बहुत कुछ है कि ग्रह को नष्ट किए बिना हमारी बढ़ती आबादी को कैसे खिलाया जाए.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (जीआईएएचएस) कार्यक्रम के पीछे यही सिद्धांत है, जो खेती के उन तरीकों पर प्रकाश डालता है. जो खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए राजनीतिक और जलवायु परिवर्तन के सामने लचीला साबित हुए हैं.

2005 से 22 देशों में 62 साइटों को नामित किया गया है. इसके साथ ही और 15 का मूल्यांकन किया जा रहा है. एफएओ वैश्विक कृषि को और अधिक टिकाऊ बनाने में मदद करने के लिए ज्ञान व अनुभव की पीढ़ियों का उपयोग करना चाहता है.

केन्या में मासाई के निर्दिष्ट क्षेत्रों में पेस्टोरालिस्ट परंपराओं और इटली के पारंपरिक सोवे अंगूर के बागों से लेकर बांग्लादेश के उद्यान तक व फिलीपींस के चीनी चाय फार्म समेत चावल की खेती शामिल है.

सूची में तुलनात्मक रूप से हाल ही में जोड़ा गया मोरक्को का छटौका एट बहा क्षेत्र है, जिसे 2018 में नामित किया गया था.

यह क्षेत्र कृषि के लिए अविश्वसनीय रूप से जैव विविध दृष्टिकोण का घर है, जो बढ़ते नट्स पर आधारित है, जिसका तेल खाना पकाने और बालों व त्वचा के सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है.

पेड़ सूखे हैं और गर्मी प्रतिरोधी हैं, वे 50C गर्मी का सामना कर सकते हैं. यह एक अनूठी कृषि प्रणाली की नींव है, जो फसलों, पेड़ों और जानवरों को जोड़ती है. अक्सर स्थानीय पशु जैसे- गाय बकरियां इन्हें नष्ट कर देती हैं.

एफएओ का कहना है कि यह क्षेत्र 'एक जैव विविधता हॉटस्पॉट' है, जो 102 स्थानीय पौधों की किस्मों की खेती करते हैं. यह पौधों की 50 प्रजातियों को संजोकर रखे है. एफएओ के मुताबिक, पेड़ एक पारिस्थितिकी तंत्र के स्तंभ हैं, जो तेल के साथ-साथ स्थानीय लोगों को अनाज, जलाऊ लकड़ी, मांस और ऊन प्रदान करते हैं.

आर्गन दुनिया का सबसे महंगा खाद्य तेल है, आश्चर्य की बात है कि इसके सिर्फ आधा लीटर उत्पादन के लिए 50 किलो नट्स की जरुरत होती है.

पेरू के एंडियन पहाड़ों से आधी दुनिया काफी दूर है. यहां किसान कृषि की एक ऐसी प्रणाली का उपयोग करते हैं, जो कम से कम 5,000 साल पुरानी होती है साथ ही पूरी तरह से जलवायु के अनुकूल होती है.

सीढ़ीदार खेत पहाड़ों पर अलग-अलग फसलें उगाने में मदद करता है. यहां फसलें जलवायु के अनुकूल उगाई जाती हैं.

समुद्र तल से 2,800 और 3,300 मीटर के बीच किसान मक्के की खेती करते हैं. 3,300 से 3,800 मीटर के बीच वे आलू लगाते हैं और 3,800 मीटर से ऊपर का स्थान वे पशुओं के पालन-पाषोण के लिए रखते हैं. इस बीच कई फसलों की खेती कर अपनी जीवका चलाते हैं.

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