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जहरीली हवा, यमुना में झाग; प्रदूषण से गहराता दिल्ली का जानलेवा रिश्ता

राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के स्तर के बीच अब यमुना में भी झाग की एक परत देखी जा रही है. छठ पूजा के अवसर पर जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु नदी में डुबकी लगा रहे हैं सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगा रही हैं. 'ईटीवी भारत' संवाददाता नियामिका सिंह की इस रिपोर्ट में जानिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए.

यमुना में झाग
यमुना में झाग

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Published : Nov 9, 2021, 10:17 PM IST

नई दिल्ली :ऐसे समय में जब दिल्ली पराली जलाने के मामलों की बढ़ती संख्या के साथ 'गंभीर' वायु गुणवत्ता से जूझ रही है, अब छठ पूजा (Chhath Puja) पर यमुना नदी के प्रदूषित पानी (polluted water) में भक्त डुबकी लगाने को मजबूर हैं. यमुना पर जहरीले झाग की पर्त (toxic layer) साफ दिखाई दे रही है.

प्रदूषण का यह स्तर दिल्ली में पहली बार नहीं देखा गया है. यमुना नदी पर झाग की जहरीली परत दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सीवेज में फॉस्फेट और सर्फेक्टेंट की उपस्थिति का परिणाम है. लेकिन चिंता की बात यह है कि यह ऐसा समय हुआ है जब छठ पूजा के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यमुना तट पर डुबकी लगाकर पूजा करते हैं.

छठ पर यमुना के जहरीले झाग में स्नान करने को मजबूर हैं लोग

इस मुद्दे पर 'यमुना जिये अभियान' के रिवर एक्टविस्ट मनोज मिश्रा (River activist Manoj Mishra) ने कहा, 'शर्म की बात है हर साल जैसे ही मानसून खत्म होता है दिल्ली में यमुना की स्थिति बद से बद्तर होनी शुरू हो जाती है. इस साल फिर हम देख रहे हैं कि छठ पर्व पर हमारी माताएं-बहनें गंदे, दुर्गंध, झाग से भरे हुए यमुना के पानी में पूजा करे के लिए बाध्य हैं.'

मनोज मिश्रा ने कहा, ऐसा नहीं है कि इसका क्या कारण है, ये जानकारी नहीं है. ये कोई राकेट साइंस नहीं है. ये जो हम झाग देख रहे हैं ये तो हमारे दिल्ली शहर, यूपी के गाजियाबाद से निकला हुआ सीवेज का पानी है. इसमें डिटर्जेंट की मात्रा बहुत ज्यादा है. फास्फेट की मात्रा बहुत ज्यादा है, इसलिए झाग बनता है.

उन्होंने कहा कि यमुना में जो दुर्गंध है और जो दूषित पानी है वह विशेषकर औद्योगिक कचरे की वजह से है. दिल्ली-गाजियाबाद से निकलकर ये वजीराबाद और ओखला के बीच जिसको हम यमुना कहते हैं वह यमुना कतई नहीं है. क्योंकि इसमें यमुना का पानी बिल्कुल नहीं है.

पांच साल में यमुना शुद्ध करने का किया था वादा

मनोज मिश्रा ने कहा कि ये स्थिति हर साल क्यों बन रही है, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा था कि हम पांच साल में यमुना का पानी शुद्ध कर देंगे. आज और कुछ नहीं कर रहे केवल दोषारोपण कर रहे हैं कि ये पानी हरियाणा और यूपी का है. उन्होंने कहा कि जब तक तीनों सरकारें मिलकर काम नहीं करेंगी, तब तक इसका कुछ निदान नहीं होगा.

उन्होंने कहा कि एक बात ये समझ नहीं आती कि ऐसा क्या जादू हो गया था अप्रैल 2020 में यमुना एकदम से बहुत ही स्वच्छ दिखने लगी थी. ये लॉकडाउन के समय की बात है. उन्होंने कहा कुछ नहीं हुआ था औद्योगिक प्रदूषण जीरो हो गया था. अच्छी बारिश की वजह से कुछ समय के लिए यमुना में अच्छा प्रवाह बन गया था, जिससे यमुना का जल एकदम शुद्ध हो गया था.

रिवर एक्टविस्ट ने ये बताए उपाय
उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास ये उदाहरण है जिससे यमुना का स्वास्थ्य एकदम अच्छा हो गया था, तो हमें कुछ भी तो नहीं करना है. हमें केवल इसे रिपीट करना है. दिल्ली, यूपी, हरियाणा ये निश्चित कर लें कि यमुना में एक बूंद भी औद्योगिक कचरा नहीं जाएगा. यमुना के अंदर बिना ट्रीट किए हुए सीवेज नहीं जाएगा और तीसरी चीज ये कि यमुना में अच्छा प्रवाह बना रहे. तीसरी चीज जो इन सभी से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है जब तक यमुना में प्रवाह वापस नहीं आएगा तब तक शुद्ध यमुना वापस नहीं आ सकती.

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने अब तक 2387 रुपये, यूपी सरकार ने 2052 करोड़ रुपये, जबकि हरियाणा सरकार ने यमुना की सफाई पर 549 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. लेकिन दुर्भाग्य से दिल्ली में यमुना अब भी गंदी नदी है. हालांकि, मंगलवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए कई उपाय सुझाए हैं.

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सीपीसीबी द्वारा जारी एक अधिसूचना में संबंधित अधिकारियों को सड़कों की मशीनीकृत सफाई की संख्या बढ़ाने, सड़कों पर पानी छिड़कने, क्षेत्र में सभी ईंट भट्टों को बंद रखने, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को तेज करने, बंद को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर दरों को लागू करने के लिए कहा गया है. राज्यों को वायु प्रदूषण के स्तर के बारे में जानकारी का प्रसार करने और वायु प्रदूषण को कम करने के कदमों के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए भी कहा गया है.

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