नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट कर दिया कि वह संबलपुर के वकीलों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही को रद्द नहीं करेगा, जिन्होंने उड़ीसा उच्च न्यायालय की नई पीठों के गठन की मांग को लेकर अपनी हड़ताल के दौरान अदालत परिसर में तोड़फोड़ की थी. हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उनके जमानत आवेदनों पर प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार कानून के अनुसार विचार किया जाएगा.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने आज मामले की सुनवाई की. कोर्ट को आज बताया गया कि वकील 50 दिन से अधिक समय से जेल में हैं, उनके साथ मारपीट की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि उन्हें पीटा नहीं जा रहा है बल्कि मौज मस्ती कर रहे हैं और उन्होंने किसी कोर्ट को जमानत देने से नहीं रोका है.
वकीलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि यह स्वतंत्रता का मामला है जिस पर अदालत ने कहा कि वे कानूनी पेशे में हैं और वे व्यवधान डाल रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि 'हम सभी बार का हिस्सा रहे हैं लेकिन यह पूरी तरह से गुंडागर्दी है. यह वह मंच है जिस पर आप वादियों को राहत दिलाने की दलील देते हैं. यह तिरस्कार आपके साथ फिलहाल लटका रहेगा, हम किसी को राहत नहीं देंगे.'
अदालत को यह बताया गया कि सलाखों के पीछे कुछ महिला अधिवक्ता और बुजुर्ग अधिवक्ता भी हैं. यह बताया गया कि अधिवक्ताओं ने बिना शर्त माफी मांगी है, जिस पर अदालत ने कहा कि माफी पर विचार करना जल्दबाजी होगी और यह कार्यवाही बंद नहीं करेगी. कोर्ट ने कहा कि यह देखना होगा कि माफी दिल से है या केवल अवमानना कार्यवाही से बाहर निकलने का प्रयास है.