कोलकाता:राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार के आवास पर आठ गैर-बीजेपी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी. इस बैठक को लेकर कई लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने की थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई थी, लेकिन, क्या कांग्रेस के बिना गैर-भाजपा ब्लॉक या मोर्चा का अस्तित्व है.
वहीं, रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि कांग्रेस को छोड़कर किसी भी भाजपा विरोधी मंच भगवा खेमे का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त नहीं है. प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और तत्कालीन प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय के अनुसार, 2023 के लोकसभा चुनाव में अभी समय है. इस समय किसी भी भाजपा विरोधी मंच की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी. क्षेत्रीय दलों की अपनी मजबूरी है और इसलिए वे अभी से प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं, लेकिन फिर क्षेत्रीय दल अपनी क्षेत्रीय मजबूरियों को कहां तक नजरअंदाज कर सकते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ सकते हैं, यह अब सबसे बड़ा सवाल है.
डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय ने यह भी कहा कि उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में यह कभी संभव नहीं होगा कि माकपा और तृणमूल कांग्रेस अपने मतभेदों को भुलाकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाएं. इसके आलावा किसी भी क्षेत्रीय दल के कई नेता खुद को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का सपना देखते हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के संयुक्त मोर्चे की व्यवहार्यता का भी सवाल है.