नई दिल्ली: कम उम्र के बच्चों को टोमैटो फ्लू (Tomato Flu in India) होने का जोखिम अधिक है और यदि इसके प्रकोप को रोका तथा नियंत्रित नहीं किया जाता तो वयस्कों में भी संक्रमण फैल सकता है. हाल में 'द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है. लांसेट की रिपोर्ट के अनुसार टोमैटो फ्लू या टोमैटो बुखार की सबसे पहले पहचान छह मई को केरल के कोल्लम जिले में हुई थी. राज्य सरकार के अस्पतालों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 26 जुलाई तक पांच साल से छोटे 82 बच्चों में संक्रमण का पता चला है. केरल के अलावा तमिलनाडु और ओडिशा में भी टोमैटो फ्लू के मामलों का पता चला है.
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को हाथ-पैर और मुंह की बीमारी (जिसे आमतौर पर 'टोमैटो फ्लू' के रूप में जाना जाता है) के खिलाफ सतर्क रहने को कहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 12 बिंदुओं के निवारक उपायों के साथ एडवाइजरी जारी की है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को जारी अपनी एडवाइजरी में संक्रमित व्यक्ति के तत्काल संपर्क से बचने का सुझाव दिया है. साथ ही मंत्रालय ने बच्चों को बीमारी के बारे में जागरूक करने के लिए चरणों को भी बताया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, 'अपने बच्चों को संकेतों और लक्षणों और इसके सहायक प्रभावों के बारे में बताएं. त्वचा को साफ करने या नहाने के दौरान हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें.' मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि फिलहाल टोमैटो फ्लू के उपचार या रोकथाम के लिए कोई एंटीवायरल दवा या टीका उपलब्ध नहीं है.
बता दें, गत 17 अगस्त को द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों को टोमैटो फ्लू होने का अधिक खतरा है, क्योंकि इस आयुवर्ग में वायरल संक्रमण सामान्य बात है और करीबी संपर्क से यह फैल सकता है. छोटे बच्चों को नैपी के इस्तेमाल, गंदी सतहों को छूने और चीजें सीधे मुंह में डालने से भी संक्रमण का खतरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बच्चों में टोमैटो फ्लू के प्रकोप को नियंत्रित नहीं किया जाता तो वयस्कों में भी संक्रमण फैल सकता है और गंभीर परिणाम आ सकते हैं.'
टोमैटो फ्लू के लक्षण
इस बीमारी में शरीर पर लाल रंग के छाले या फफोले हो जाते हैं जिनमें दर्द होता है, इसलिए इसे टोमैटो फ्लू कहा गया. अध्ययन के अनुसार, यूं तो यह बीमारी जानलेवा नहीं है, लेकिन कोविड-19 महामारी के खतरनाक अनुभव को देखते हुए इसके प्रकोप को रोकने के लिए सतर्कता के साथ प्रबंधन जरूरी है. इस वायरस में कोविड की तरह ही बुखार, थकान, शरीर में दर्द और चकत्ते जैसे लक्षण भी सामने आ सकते हैं.