हैदराबाद: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी है. रविवार को भारतीय टीम ग्रेट ब्रिटेन की टीम से भिड़ेगी. जहां दोनों टीमें जीतकर सेमीफाइनल की सीट पक्की करना चाहेगी. लेकिन उससे पहले उस इतिहास का जिक्र करना जरूरी है जहां भारत और इंग्लैड दोनों दशकों से ओलंपिक मेडल का सूखा झेल रहे हैं. ये दोनों टीमें ओलंपिक के फाइनल में एक-दूसरे का सामना भी कर चुकी है ? उस मैच के नतीजे और ओलंपिक में दोनों टीमों का इतिहास क्वार्टर फाइनल से पहले हवा में तैर रहा है. इतिहास में क्या हुआ था उससे पहले जान लेते हैं कि वर्तमान में क्या हो रहा है और 1 अगस्त को क्या होगा.
क्वार्टर फाइनल की जंग
1 अगस्त 2021 को टोक्यो ओलंपिक में भारत और ग्रेट ब्रिटेन की हॉकी टीमें क्वार्टर फाइनल में आमने-सामने होंगी. अंतिम 8 में जगह बनाने के बाद टीम इंडिया का लक्ष्य ब्रिटेन को मात देकर सेमीफाइनल का टिकट पक्का करना होगा. टोक्यों में हॉकी के सभी क्वार्टर फाइनल मुकाबले रविवार को ही खेले जाएंगे. भारत और ब्रिटेन का मुकाबला क्वार्टर फाइनल स्टेज का आखिरी मुकाबला होगा. इससे पहले मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना का मुकाबला जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया की टक्कर नीदरलैंड और बेल्जियम की भिडंत स्पेन के बीच होगी.
टोक्यो में ब्रिटेन के मुकाबले भारतीय टीम बेहतर
मनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारतीय टीम ने अब तक बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया है. टीम अपने दूसरे ही मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया से भले 7-1 से हार गई लेकिन उसके बाद टीम ने शानदार वापसी की. ग्रुप स्टेज में टीम इंडिया ने स्पेन को 3-0, मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना को 3-1 और मेजबान जापान की टीम को 5-3 से मात दी है.
भारतीय टीम ने 5 में से 4 में जीत के साथ ग्रुप ए में दूसरे नंबर पर रही, जबकि ब्रिटेन की टीम दो जीत, दो हार और एक ड्रॉ के साथ पूल बी में तीसरे स्थान पर रही. ब्रिटेन ने दक्षिण अफ्रीका को 3-1 और कनाडा को 3-1 से हराया. लेकिन फिर जर्मनी से 5-1 से हार के बाद नीदरलैंड और बेल्जियमे दोनों के साथ 2-2 की बराबरी पर ड्रा खेला.
ग्रुप स्टेज का प्रदर्शन देखें तो भारत का प्रदर्शन ब्रिटेन से बेहतर रहा है. टीम इंडिया ने ग्रुप स्टेज में 5 में से 4 मैच जीते. जबकि एक मैच में उसे एक मैच में हार मिली. वही ब्रिटेन की टीम को 5 मैच में से 2 में जीत मिली, दो मैच ड्रॉ रहे और एक में उसे हार मिली. क्वार्टर फाइनल के सभी मुकाबले एक अगस्त को ही खेले जाएंगे,
कई चीजें भारत के पक्ष में हैं
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का अब तक का सफरनाम ब्रिटेन के प्रदर्शन पर भारी पड़ता दिख रहा है. वर्ल्ड रैंकिंग के हिसाब से भी भारतीय टीम ब्रिटेन की टीम से आगे है. भारतीय टीम में 10 खिलाड़ी ऐसे हैं जो पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन ग्रुप स्टेज के मुकाबलों में टीम ने बताया है कि वो किसी से भी कम नहीं है.
जानकार मानते हैं कि टोक्यो के उमस भरे मौसम में खेलने के मामले में भी टीम इंडिया को फायदा मिलेगा. क्योंकि भारत का मौसम कमोबेश इसी तरह का होता है. मानसिकता और युवा जोश के मामले में भी जानकार टीम इंडिया को ब्रिटेन से एक नंबर ज्यादा देते हैं और इन सबके अलावा ओलंपिक में भारतीय हॉकी का स्वर्णिम इतिहास किसी भी टीम के खिलाफ भारी पड़ता है.
भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी, भारतीय टीम की बदौलत इस खेल ने भी कभी वो सुनहरा दौर देखा था जो मानो कहीं खो सा गया है. भारत में हॉकी कभी उस बुलंदी पर थी जब लगातार 6 गोल्ड भारत की टीम ने अपने नाम किए. फिर चाहे ब्रिटेन की गुलामी की जंजीरों से बंधी भारतीय टीम हो या फिर आजाद देश की.
साल 1928 से लेकर साल 1956 तक ओलंपिक में गोल्ड मेडल जैसे भारतीय टीम के लिए ही बना था. लगातार 6 बार सोने का तमगा टीम इंडिया के हिस्से आया. ये वही दौर था जब ध्यानचंद जैसे कई जादूगर टीम इंडिया की शान थे.
हिटलर के बर्लिन में साल 1936 में खेला गया वो मशहूर ओलंपिक भी इसी दौरान खेला गया, जब ध्यानचंद की हॉकी स्टिक तोड़कर उसमें कभी चुंबक तलाशा गया तो कभी ध्यानचंद को हिटलर की तरफ से जर्मन फौज में शामिल होने का न्योता दिया गया. ये सब कुछ उसी हॉकी की बदौलत हुआ है जो भारत में शिखर से सिफर तक का सफर देख चुकी है. फाइनल में जर्मनी को हराकर भारत ने हिटलर का गुरुर भी चकनाचूर कर दिया था.